गुरुवार, 9 अक्तूबर 2008

यहाँ तो पंढरपुर के भगवान् भी धर्मनिरपेक्ष हैं .

विध्वंस पर रचना की विजय हो ,विचार स्तम्भ के तहत ,नई दुनिया ,राष्ट्रीय राजधानी स्नास्करण,९अक्तूबेर ,मैं दीपंकर गुप्ता का लेख पढ़ा । गुप्ता आज के हालत पर कहते हैं:अभी विध्वंस कारी ताक़तें बेकौफ अपना काम कर रही हैं और रचनात्मक शक्तियां सो रही हैं। ऐसे मैं धरम निरपेक्ष शक्तिया रचनात्मक सेना की भूमिका निभाएं । उन्हें अपने दायित्व को समझते हुए आगे आना चाहिए।
हमारा ऐसा मानना है :पहले धरम निरपेक्षता शब्द के अर्थ को निर्धारित किया जाए ,बतलाया जाए इस शब्द की प्रासंगिता क्या है ??भारत मैं अपने अपने दडबों और घरोंदों मैं सब धरम निरपेक्ष हैं ,मुस्लिम.यादव वोट बेन्कीय लालू भी अपने को धरम निरपेक्ष बतलाते हैं तो सिम्मी समर्थक राम विलास भी दलितों का असली वारिस कहलवाना भी इन्हें पसंद हैं । माया वती को ये फ्रौड़ बतलाते हैं। इधर कट्टरपंथी भी अपने को धर्मनिरपेक्ष कहए हैं।
राजिव गांधी जब मेघालय गए थे तब उन्होंने इसाई मिस्नारियों से विनती की थी :आप हमें वोट दीजिये हम इसाई जीवन पध्धति अपनाएंगे .धराम्निर्पेक्षों का एक तबका गोहत्या पर से प्रितिबंध हटा लेने की बात एक मंच पर आकर कहता है और दूसरे से सभी जीवों के प्रति दया भाव रखने की वकालत करता है तो प्रिया सकुलर महानुभावो पहले आप ये तय कर लें की इस शब्द से आपका रिश्ता क्या है,परिभाषा और सन्दर्भ के बिना यह एक भ्रामक शब्द बन कर रह गया है। अतेह इसका प्रयोग दिग्भ्रमित ही करेगा ।
इस एक शब्द ने भारत का कितना अहित किया है सहेज अनुमेय है । हम तो राज्य की धरम से दूरी को धरमनिर्पेक्षता मानते आए थे .यहाँ तो अकाली दल हैं ,शिव सेनायें हैं ,मन से यानी राज ठाकरे हैं ,जमाय्तें इस्लामी हैं ,सब के सब धर्मनिरपेक्ष कहलवाना और ख़ुद को समझना पसंद करते हैं.चर्च द्वारा संपादित इसाई कारन पर पोप के शब्दों मैं आत्मा की खेती और धंधे पर मेरे देश मैं हत्याएं होती हैं ।
दीपांकर कहते हैं :क़ानून इंसान को सामाजिक बनता है .लोकतंत्र एक बेहतर क़ानून और व्यवस्था है। यहाँ सब बराबर हैं। लेकिन क्या वास्तव मैं ऐसा है यहाँ तो वोट तंत्र है। दवाब समूहों वेस्टेड इंटरेस्ट के नीचे कार्यरत शाशन तंत्र क़ानून का पालन करवाना कब का भूल चुका है । इसीलिए तसलीमा को देशबदर किया जाता है.अफज़ल की फांसी को निलंबित रखा जाता है महेश चंद्र शर्मा की शहादत पर सियासत होती है ये तमाम लोग भी सकुलर हैं ऐसे मैं किस रचनात्मकता की उम्मीद रखें धराम्निर्पेक्षों से । आप ही बतलाएं????

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