गुरुवार, 30 अक्तूबर 2008

दो पुत्रवधुएँ : दो धरोहर

श्री हरिवंश राए बच्चन जिस विराट सहितियिक परम्परा के स्वामी थे, उसी का प्रतिनिधित्व करती हैं उनकी पुत्र वधु सांसद और अभिनेत्री श्रीमती जाया बच्चन और इसीलिए वेह बेक़सूर होते हुए भी महज़ महाराष्ट्र की धरती पर हिन्दी बोलने पर तहे दिल से माफ़ी मांग लेती हैंसहस्राब्दी के महानायक एवं उनके पति श्री अमिताभ बच्चन इसी का अनुसरण करते हुए महाराष्ट्र को एक गैर ज़रूरी फसाद से बचा लेते हैं

दूसरे छोर पर बालासाहिब ठाकरे खानदान की पुत्रवधू हैंयह वही खानदान है जो राजनीति से प्रजातंत्र को चलाता रहा है, इस परम्परा को बनाये रखने में श्रीमती राज ठाकरे १०० % कामयाब रहीं हैंउन्होंने ने अपनी तरफ़ से राज ठाकरे को राज ठाकरे बनाने में कोई कसर नही छोड़ी है, पता नहीं लालू को लालू बनाए रखने में राबडी देवी का क्या योगदान है, रामविलास पासवान को पासवान किसने बनाया है ? लेकिन जब राजनीति प्रजातंत्र का रथ मनमानी दिशा में हांकती है तब राज ठाकरे ही पैदा होते हैं उनकी जगह लालू और पासवान होते तो वह भी यही करते जो महाराष्ट्र में राज ठाकरे ने किया

कोई टिप्पणी नहीं: