शनिवार, 22 नवंबर 2008

मालेगांव और मकोका के बहाने

बालक अमूमन दो तरह के होते हैं : उद्दंड और अनुशासितजब उद्दंड बालक को लगातार शय दी जाती है और अनुशासित की लगातार उपेक्षा होती है, उसे प्रताड़ित किया जाता हैजब तुष्टिवाद का घड़ा भर जाता है, १५ % आबादी को खुश करने की जीतोड़ कोशिश की जाती है तब एक पुरोहित पैदा होता है, वह भी मात्र प्रतिकार करने के लिए, अह किसी को लक्षित करके कुछ नहीं करता, कुंठित होकर अपना ही सर दीवार से फोड़ता हैपुरोहित की चूक इससे ज़्यादा नही है

एक तरफ़ मनमोहन है 15 फीसद के संरक्षक जो उस समय रात भर नही सो पाते जब सुदूर ऑस्ट्रेलिया में आतंकी वारदात की बिना पर एक इस्लामी पकडा जाता है दूसरी तरफ़ आडवानी हैं जो पुरोहित और अन्यों के मकोका ग्रस्त होने पर कम से कम सोते तो चैन से हैंसिर्फ़ प्रज्ञा सिंह ठाकुर का हलफनामा पड़ कर विचिलित होते हैं जिंसकी जांच का भरोसा अब राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने भी जताया हैनिश्चय ही भारतीय सन्दर्भ में यह बिना वजह नही है जहाँ लेंगिक गैर बराबरी में भारत १३० देशों की बिरादरी में सिर्फ़ अज़रबैजान और आर्मीनिया से अगदी है यानी नीचे से औरत के साथ मार कूट और शिक्षा, स्वास्थ्य सम्बन्धी भेदभाव में तीसरे नम्बर पर है

ऐसा लगता है : जांबाज़, खुदार और अनुशासित लेफ्टिनेंट कर्नल प्रशाद श्रीकांत पुरोहित के हाथों जो आतंकवादी मारे गए हैं, इटली नियंत्रित मनमोहिनी सरकार उनका बदला मकोका में घेर लिए गए दस ग्यारह लोगो से ले रही हैआम चुनाव तक सरकार अब कथित हिंदू आतंकवाद के अलगाव को सुलगाये रखेगी मनो इस्लामी आतंकवाद आलमी स्तर पर नेस्तोनाबूद हो चुका हो

कोई टिप्पणी नहीं: