गुरुवार, 6 अगस्त 2009

आसमान से गिरे खजूर पे अटके .

प्रकृति का अपना देश -काल होता है ,उसी के अनुरूप आचरण जीवन में सुख आनंद की वृष्टि करता .नारी स्वयं प्रकृति ही है ,पुरूष निष्क्रिय रहता है ,नारी ही उसे सक्रीय करती है ,लेकिन ये क्या ,प्रजनन धर्म से ही भाग खड़ी हुई आज की नारी .एक तरफ़ सहजीवन ,लिविंग टुगेदर ,नो कमिटमेंट्स दूसरी तरफ़ डिंक(डी.आई .एन .के .यानी डबल इनकम नो किड्स ),देर से स्वयंवर कम बच्चे पैदा करने की आकांक्षा ,नतीजा "ब्रेस्ट केंसर में इजाफा "भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद् की शीघ्र प्रकाश्य विज्यप्ती के अनुसार (टाइम्स ट्रेंड्स इन केंसर इन्सिडेन्सटेस रेट्स ,१९८२-२००५ )के अनुसार बेंगलोर -चेन्नई -दिल्ली -मुंबई महानगरों में जहाँ सर्विक्स केंसर (गर्भाशय -ग्रीवा ,गर्भाशय की गर्दन के केंसर ) के मामले ५० फीसद तक कम हुए वहीं स्तन केंसर के मामले उसी अनुपात में बढ़ गए ।बेशक देश के कई इलाकों में आज भी "बालिका वधु "प्रासगिक बनी हुई है ,कमसिन लडकियांब्याही जा रहीं है ,हरयाणा में तो बार्टर सिस्टम चल पडा है ,लेकिन जीवन से बढती प्रत्याशा ,उम्मीदी औरत -मर्द दोनों को देर से विवाह रचाने और कम से कम बच्चे पैदा करने की और धकेल रही है .जहाँ कम उम्र में विवाह ,कम फासले से बच्चे पैदा करते चले जाना ,हाई -जीन (स्वास्थ्य -विज्ञान ) का अभाव औरतों -मर्दों में भारत को सर्विक्स केंसर के नक्शे में शीर्ष पर ले आया था वहीं अब आधुनिक जीवन के तकाजे ,जीवन शैली रोग की वजह बन -ने लगें हैं .हमारे खान पान ,चिकनाई सनी खुराक ,रहनी -सहनी जहाँ एकऔर भारत को मधुमेह रोग का हब (दाया -बितिज़ हब ) बना -ने लगी है ,वहीं हम आसमान से गिर के खजूर में अटक गएँ हैं .एक केंसर की गिरिफ्त से निकल कर दूसरे केगिरिफ्त में आगये हैं .सफेदा और विलायती कीकर लाये थे हम लोग .दलदली प्रदेश के लिए था सफेदा ,हम इसकी बाढ़ लगा बैठे ,आंधी तूफ़ान रोकने के लिए खेत की हदबंदी करने लगे सफेदे से .फास्ट ग्रोइंग किस्में लगा बैठे सफेदे की हम लोग ,विदेशी कीकर को दिल दे बैठे ,नतीजा ,अंडर -वाटर टेबल और नीचे खिसक गई ,डिंक -लिविंग टूगेदर ने भी मिल जुल कर दाम्पत्य की दीवार दरका दी है .सेहत को घुन लगा लिया है लेट मेरिजिज़ अपना कर ,बच्चों को वेस्तिज़िअल आर्गन ,अपेंडिक्स सा गैरज़रूरी समझ -बूझकर .खुदा खैर करे ."कबीरा तेरी झोपडी ,गल -कटी -अन के पास ,करेंगे सो भरेंगे ,तू क्यों भया उदास .ओमशांति .