शनिवार, 5 सितंबर 2009

लत पड़ जाती है दर्द नाशक दवाओं की भी ,खासकर वह दवाएं जिनमे कोडीन का डेरा है जैसे न्युरोफें -एन प्लस ,सोल्पा- दाइन प्लस ,जिन्हें लाखों लोग बदन दर्द ,सर दर्द ,कमर दर्द ,तथा माहवारी (मेंस्रुयेल साइकिल ) के दौरान एब्दोमन क्रेम्प्स (पेट दर्द की एंठन )में अपने हिसाब से भाकोस्तें हैं (मनमर्जी का सौदा ठहरा ओवर दा काउन्तर्स ड्रग्स ).एक दिन में ७० तक गोलियाँ खाने का कीर्तीमान बनाने वाले श्रीमान हमारे बीच में मौजूद हैं ।

इन्हें नहीं मालूम कोडीन वर्ग की दवाएं ओपिएट्स हैं ,मार्फीन औ हेरोइन की तरह एडिक्टिव हैं ,लात्कारी हैं .छोड़ने पर विद्रावल सिंड्रोम भुगतने पडतें हैं ।

इसीलियें अब ब्रितानी दवा रेख तंत्र औ मेदिसंस एंड हेल्थ कार प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी ने अब उन विज्ञापनों को भी रेगुलेट करने का बीडा उठाया है जो काफ कोल्ड की दवा के बतौर इन्हें प्रोमोट कर रहें हैं ।

अधिकृत तौर पर ३२,००० औ हकीकत में इससे कहीं ज्यादा लोग इन दर्द नाशक दवाओं के आदी हो चुकें हैं .ड्रग एब्यूज है यह सीधा सीधा ।

आइन्दा इन दवाओं के पेकित पर लिखा होगा -लत पड़ सकती है ,इस दवा की ,केवल तीन दिन के स्तेमाल के लियें .एक पेकित में अब बिना डॉक्टरी नुस्खे के ३२ गोलियाँ ही मिलेंगे ,पहले १०० तक मिल जातीं थीं ।

मनमर्जी से गोली अपने रिस्क पर खा सकतें हैं ,स्टमक ब्लीडिंग ,यकृत सम्बन्धी समस्याएं ,पित्ताशय की पथरी ,यहाँ तक की अवसाद (डिप्रेशन )तक आप को अपनी गिरिफ्त में ले सकता है ।

यकायक दवा छोड़ देने पर बद -मिजाजी ,पसीना छूटना जैसी परेशानियां आप को घेर सकतीं हैं ।

बहर -सूरत आप अपनी मर्जी के मालिक हैं ,जो चाहे सो करिए ।

सन्दर्भ सामिग्री :पेन -किलर्स कें बी एडिक्टिव इन जास्त थ्री डेज़ -टाइम्स आफ इंडिया ,सेप्टेम्बर ५ ,२००९ ,पेज १७

प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )

1 टिप्पणी:

Dr. Ravi Srivastava ने कहा…

सचमुच में बहुत ही प्रभावशाली लेखन है... वाह…!!! वाकई आपने बहुत अच्छा लिखा है। आशा है आपकी कलम इसी तरह चलती रहेगी, बधाई स्वीकारें।