सोमवार, 7 सितंबर 2009

बोल चाल का लहजा गढा हु -ब-हु विज्ञानियों ने .

बोल चाल का लहजा ,आदमी की वाणी ही उसकी सही पहचान होती है ,शख्सियत का पैमाना होता है -जिन केंसर ग्रस्त मरीजों की स्वर्तंत्री ही काट कर फेंक दी जाती उनका सारा व्यक्तित्व ही विलोप होने लगता है .ऐसे ही लोगों को उनकी शक्शियत लौटाई है ,यूनिवर्सिटी आफ शेफ्फिल्ड के एक मास्टर्स स्टूडेंट ने ।
आपने एक ऐसी प्रोद्द्योगिकी विकसित कर दिखाई जो बोल चाल के लहजे की-ब -हु नकल उतार सकती है लेरिन्क्ज़ उच्छेदन (लेरिन्जेक्त्मी के बाद भी ।) यानी आपने वाणी का ही संस्लेष्ण कर दिखाया ।
इस एवज एक इलेत्रोनी वाइस रेप्लिकेष्ण सिस्टम तैयार किया गया .यानी आवाज़ को जेरोक्स कर दिखाया ।
अलबत्ता इस एवज मरीज़ की लारिन्जेक्त्मी (स्वर तंत्री वोकल कोर्ड्स) को काटने से पहले चम्प्मन (मरीज़ )की आवाज़ रिकार्ड की गई ।
अब वाणी का सांखिकीय माडल तैयार किया गया (स्तेतिस्तिक्ल माडिल ).इसके लिए वाणी संस्लेषण का सहारा लियागया .सात मिनिट की रिकार्दिद वाणी में कोई सौ वाक्य थे .इस एवज साफ्ट वेअर एडिनबरा विश्व -विद्द्यालय ने तथा शेफील्ड्स विश्व -विद्द्यालय के कंप्यूटर एंड ह्यूमेन कम्युनिकेशन साइंसिज़ विभागों ने स्पीच सिंथेसिस टेक्नीक तैयार की ।
एक औसत वाणी निदर्श (एवरेज वाइस माडल )अपनाया गया .मरीज़ (चम्प्मन )औ उसके सगे -सम्बन्धियों ने इस आवाज़ को उसकी बुनियादी आवाज़ जैसा ही बतलाया समझा ।
अब तक एक कृत्रिम स्वर यंत्र (दलेक )का इस्तेमाल किया जाता था जिसकी आवाज़ एक दम से कर्कश औ शक्ल सूरत किसी रोबोट सी ही थी -डॉक्टर हूँ के विज्ञान गल्प टी वी सिरीयलों के पात्रों सी .चम्प्मन खुद एक नर्सिंग सिस्टर का काम करती रहीं हैं ,उन्होंने ख़ुद भी ऐसे मरीज़ देखें हैं .,जो दलेक का स्तेमाल करते थे ,जैसे किसी औ ग्रह के प्राणी हों ।
सर्जरी से पहले आवाज़ का संश्लेष्ण कर लेना इस टेक्नीक के जरिये एक बड़ा कदम होगा .बहर -सूरत टेक्नीक की आज़माइश कर ली गई है ,चम्प्मन पर .एक हेंड हेल्ड डिवाइस के बतौर इसे आपके हाथ में आने में अभी वक्त लगेगा लेकिन उतना नहीं ।
सन्दर्भ सामिग्री :वाइस रिकार्दिद आफ्टर वोकल कोर्ड्स लास्ट (टाइम्स आफ इंडिया ,सितम्बर ७ ,२००९ ,पृष्ठ १७ ,कालम १-५ ,केपिटल एडिशन )
प्रस्तुती ;वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई ).

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