शुक्रवार, 18 सितंबर 2009

एथेनोल इंधन के बतौर गेसोलीन की तरह ही प्रदूषण -कारी .

ब्राजील के पर्यावरण मंत्रालय द्वारा संपन्न एक अध्धय्यन के मुताबिक ,एथनोल चालित वाहन भी उतना ही प्रदूषण फैलातें हैं जितना गैसोलीन से चलने वाले .अध्धय्यन गन्ने से प्राप्त एथेनोल से चालित कारों से ताल्लुक रखता है रिपोर्ट में ब्राजील की सड़कों पर कारों से उत्सर्जित कार्बन डाइऑक्साइड का ज़िक्र नहीं हैं .कार्बन -ऑक्साइड एमिशन्स का हिसाब किताब नहीं रखा गया है .मंत्रालय के अनुसार ,हमारा मकसद कार उपभोक्ताओं को प्रदूषण के बारे में सतर्क करना था ,ताकि कार खरीदते वक्त इस पर भी गौर किया जाए .एमिशन ग्रीन ग्रेड्स पर ०-१० अंक वाले एक पैमाने पर तीन सेहत के लिए खतरनाक समझे जाने वाली गैसों कार्बन -मोनो -ऑक्साइड ,हाइड्रो -कार्बंस ,और नाइट्रोजन ऑक्साइडउत्सर्जन के आधार पर दर्ज किया गया .बेशक ये ग्रीन हाउस गैसें ना सही ,सेहत के लिए बेहद खतरनाक हैं .(कार्बन मोनो -ऑक्साइड से तो बंद कारों में वेंट सिस्टम की खराबी से रष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कई डेथ हो चुकीं हैं ,साइलेंट किलर है यह गैस ।
बेशक गन्ने की फसल कार्बन के लिए एक ब्लोटिंग पेपर का काम करती है ,कार्बन एमिशन को सोख लेती है ,इसीलिए कार्बन एमिशन जो ग्रीन हाउस गैसों औ विश्वव्यापी तापन के लिए कुसूरवार समझी जाती है ,इस गिनती से बाहर रखी गई है .हो सकता है हिसाब किताब बराबर हो जाता हो ।गन्ने की बधवार के दौरान उतनी ही कार्बन दाई -ऑक्साइड सोख ली जाती हो ,जितना कारें उगलतीं हैं .
मिस्र इंधन से चालित २५० फ्लेक्स -फ्युएल कारों (एथनोल -गैसोलीन मिस्र से चलने वाली हाई -ब्रीद कार ) की भी सूक्ष्म जांच की गई ,ब्राजील की सड़कों पर ८५ फीसद ऐसी ही कारें दौड़ रहीं हैं ,जिन कारों को लोएस्ट ग्रेड मिला उनमे ८ कारें एथनोल और कितनी ही मिक्स्ड फ्युएल चालित भी थी .इनमे फ्लेक्स इंजिन फिट थे .यद्द्य्पी २००८ में निधारित एमिशन मान डंडों पर यह सभी खरी उतरतीं थीं । सेहत के लिए तो खतरे मुह्बाये खडे हैं .
सन्दर्भ सामिग्री :-मिथ बस्तिद :एथेनोल एज पोल्युतिंग ऐ फ्युएल एज पेट्रोल (टाइम्स आफ इंडिया ,सितम्बर १८ ,पृष्ठ २१ ।)
प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )

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