शुक्रवार, 4 सितंबर 2009

काले माँ- बाप की गोरी संतानें -रंजक -हीनता (एल्बीनिस्म )क्यों ?

ओलिंदा ,ब्राजील में काले दम्पति ने जिनके पहले ही दो बच्चे काले भी हैं तीन गोरे भी पैदा किए हैं ,ये तीन बच्चे अति -सूरजमुखी हैं ,स्वेत केशी (सफ़ेद बाल ),गुलाबी बाल औ गुलाबी आंखों वाले ये नौनिहाल आल्बिनो हैं ।
तकरीबन १७,००० बच्चों में एक आल्बिनिज्म से ग्रस्त होता है .वजह बनती है एक रंजक (मेलेनिन हारमोन )की कमी ।
नार्थ ईस्ट ब्राजील के झौंपर -पट्टों(स्लम्स )में रहने वाले इन बच्चों को अनजाने me इनके हमउम्र चिडातें हैं ।
आख़िर क्या है आल्बिनिज्म (रंजक हीनता )?
ऐसा नहीं है ,मनुष्य ही आल्बिनो होतें हैं ,पादप औ पशु भी रंजक हीनता से (जन्मजात )ग्रस्त होतें हैं .आनुवंशिक vajah bhi है आल्बिनो होने की .इसी वजह से इनकी आइरिस मसल (मस्कुलर डायफ्राम )जो आँख की पुतली को घेरे रहती है ,गुलाबी होती है .तारे (पुतली को छोटा बड़ा कर यही आपतित प्रकाश का विनियमन karti है ।)
खिजाने वाले बच्चों को क्या हममेसे कई बडों को भी नहीं मालूम -आल्बिनिज्म एक आनुवंशिक ,नॉन -पेथोलोजिकल (गैर -या अरोग -विज्ञानिक )एक रंजक मेलेनिन की हमारे बालों (केश राशि ),चमडी औ आंखों में कमीबेशी का नतीजा है ।
अक्सर ये बच्चे बिन्दु या डॉट को नहीं देख पाते क्योंकि इनके आई लेंस का घुमाव (कर्वेचर ,या गोलाई )एकसार नहीं होती .पाइंट आब्जेक्ट इन्हें फैला -फैला (दिफ्युजद )दिखाई देता है .इस स्तिथि ,को एस्तिग्मेतिज्म -इनेबिलिती तो फोकस पाइंट इमेज आफ पाइंट आब्जेक्ट .,कहा जाता है ।
अक्सर फोतोफोबिया से भी ग्रस्त होतें हैं ये लोग इसीलिएinhen सूरज मुखी कहतें हैं .है ना अजीब बात सूरज जो एक पाइंट सोर्स है इन्हें चौंधियाता है ,नजर कहाँ आता है ।प्रकाश से खौफ खातें हैं ये आल्बिनो .
निस्ताग्मस भी होतें हैं ये बच्चे -इनकी आँख स्वामी राम देव की तरह fadakti रहती है
निस्तेग्मस :आई बाल बिना नियंत्रण किसी भी दिसा में चक्रीय गति करती रहती है .,इस स्तिथि में .

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