गुरुवार, 3 सितंबर 2009

उत्तरी ध्रुव को गरमा रही है मीथेन गैस .

इस नीरव बीहड़ के सन्नाटे को किसी सारस (सेन्हिल क्रेन) की आवाज़ तोड़ती है या फ़िर या फ़िर अंडर वाटर वेंट्स से उठती यहाँ वहाँ गैस के रिसाव की गड़गड़आवाज़ .उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्र में कमतर तापमानों की वजह से साइल (मिटटी ) और चट्टानें जमी रहती हैं ,इन्हीं पर -माँ -फ्रोस्ट में फ़सी है बेशुमार मीथेन गैस ।
"किसी भी शान्ति भरे दिन में बीसीयों जगह से रिसाव की आवाज़ एक सन्नाटा बुनती है .-कहतें हैं राब बोवें जो एक रबर बोट में सवार झील को नाप रहेंएक शोध क्षात्र हैं । बचके गुप्तचर की तरह संभल -संभल के निकलते हैं ,इस तमाम क्षेत्र से राब बोवें ,इस डर से ,एक चिंगारी ,एक दियासलाई की रगड धू -धू कर के सुलग ना उठे ।".
कारण इस सारे क्षेत्र से अंडर वाटर वेंट्स से गैस रिसती रहती है .उत्तरी आकाशीय क्षेत्र में गर्माहट की वजह बन रही है ,मीथेन की यह विशाल राशिः .फलतय यह भी विश्व -व्यापी तापन को एड़लगा रही है ।
आशंका व्यक्त की गई है ,आर्क्टिक पर -म -फ्रोस्ट औ सी बेड में फंसी ,लगातार रिसती यह ग्रीन हाउस गैस जलवायु
के ढाँचे को तहस -नहस कर बड़ी तबाही ला सकती है ।
पता चला है ,इस रिसाव के चलते साइबेरिअई क्षेत्र (नार्थ -वेस्ट कनाडा ),अन्यत्र भी उत्त्तरी ध्रुव के इस इलाके में १९७० से अब तक वायुमंडलीय तापमान में २.५ सेल्सिअस की बढोतरी हो चुकी है .यह वृद्धि आलमी विश्व -व्यापी तापमानों में होने वाली बढोतरी से कहीं ज्यादा तेज़ी पकड़े है ।
समर- था (गर्मियों की पिघलाहट ) ज़मी हुई साइल का (पर -माँ -फ्रोस्टका )४सेन्तिमीतरसालाना की रफ़्तार से सफाया कर रही है ।
इस सदी के अवसान से पहले ही इसमे ७ सेल्सिअस का और भी इजाफा (इनक्रीज ) दर्ज किया जा सकता है (इंटर -गवर्मेंटल पेनल आन क्लाइमेट चेंज का एक आकलन इसकी तस्दीक़ करता है ।).
२००७ में एअर -मानीटर्स ने वायु मंडल में जो मीथेन का अतिरिक्त ज़माव देखा था ,वह जाहिरा तौर पर धुर -उत्तरी स्रोतों से ही रिसाव का नतीजा था ।
शोध क्षात्रों ने साइबेरिअई क्षेत्र से खतरे की घंटी बजा दी है ,कोई सुने ,न ,सुने ,उसकी मर्जी .पृथ्वी की जलवायु के लिए आसार अच्छे नहीं हैं ,अप्श्कुनात्मक हैं .खुदा खैर करे ।
कबीरा खडा बाज़ार में सबकी ,चाहे खैर ,
ना काहू से दोस्ती ना काहू ,से बैर .

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