रविवार, 13 सितंबर 2009

स्पर्श वचन -गरीबों के लिए भी अच्छी सेहत का वायदा .

कुछ बच्चे जन्मजात विकलांगता लिए ही इस दुनिया में आजातें हैं ,कई मर्तबा इसका कारण माल्फोर्मेष्ण तो कभी गर्भ से ही क्षतिग्रस्त मष्तिष्क (ब्रेन देमेज्द )बच्चा पैदा होता है .कोई सेरिब्रल -पालजी (जन्मजात दिमागी क्षति लिए तो किसी का दिमाग जन्म लेते वक्त भी क्षतिग्रस्त हो जाता है )से ग्रस्त तो कोई क्लब -फ़ुट (बलदारपैर ,मुडाव -दार पैर )के साथ इस दुनिया में चला आता है .कईयों के पैर ही छोटे बडे नहीं होतें ,पंजा भी गायब होता है ,जन्म से तो कईयों का होंट कटा होता है .कईयों की अस्थियाँ जन्म से ही भंगुर (भुरभुरा कर टूटने वाली )होती हैं तो कितने ही शिशु मस्क्युलो -स्केलितलअब्नार्म्लेतीज़ (पेशीय -अस्थि -पंजर सम्बन्धी विकलांगता ,दिस्लोकेतिद हिप बोन लिए ही )इस दुनिया में आ जातें हैं ।
भारत में कितने ही ऐसे परिवार हैं जिनके पास इनके इलाज़ के लिए पैसा नहीं है .देश में शल्य -चिकित्सा तो मौजूद है लेकिन गरीब गुरबों के पास नौनिहालों के इलाज़ के लिए पैसा नहीं हैं .स्पर्श -वचन इनके लिए एक खुदा की भेजी इनायत से कम नहीं है ।
आपको बतलादें -हेल्थ सिटी बेंगलुरु में स्पर्श -अस्पताल इनको मुफ्त शल्य -चिकित्सा ही नहीं ,सर्जरी के बाद पुनर-आवास (रिहेबिलेष्ण )भी मुहैया करवा रहा है .इस एवज देश भर से २०० बच्चों को यह नायाब सुविधा मुहैया करवाई जा रही है ।
दुनिया भर से कोई तीस (३० )बालरोग -अस्थि विद इसमे अपनी सेवायें देंगें .ये अपने साथ ब्रितिल बोन से ग्रस्त बालकों के लिए राड्स (जिनका घनत्व अस्थि जैसा ही होता है )भी ला रहें हैं ।
यह सुविधा स्पर्श होस्पिटल में १९ -२६ अक्तूबर,२००९ , तक उपलब्ध करवाई जायेगी .संपर्क करें :-०९००८४ -७५००० ,
०९७४३२१४८९० पर ।
अंडमान -निकोबार के बच्चे भी इस सुविधा का लाभ ले सकेंगे .अब ये बच्चे अपने भाग्य को नहीं कोसेंगे ,कुछ का लंबा इलाज़ चलेगा ,शुरू हो चुका है ।
बकौल डाक्टर योहन्नान ,निदेशक चिकित्सा सेवायें ,मुख्य एन्स्थीज़िओलाजिस्त (अनेस्थेटिक पदार्थ देकर सर्जरी को कामयाब बनाने वाला चेतना -हारी माहिर )स्पर्श होस्पिटलने कई नौनिहालों को लिम्ब -लेग्थ्निंग गेजेट लगाया है ,जिससे टांग की लम्बाई रोजाना एक मिलीमीटर बढ़ने लगी है ,इनके पैर छोटे बडे हैं .इनमे कुछ बच्चे तो अपने हाथ पैरो को हिला दुला भी नहीं पातें हैं ,दिस्लोकेतिद हिप या फ़िर सेरिब्रल -पालजी से ग्रस्त हैं .आस की एक किरण फूटी है -स्पर्श की यह अप्रितम पहल एक आन्दोलन (जन -आन्दोलन )में बदले तो बात बने ,बीडा तो उठाया गया है ,आहुति मुझे औ आपको भी डालनी है .किसी विध भी .अब कोई ये ना कहे -जेहि विधि राखे राम ,हारे को हरिनाम ।
सन्दर्भ सामिग्री :-होप शा -इन्स फार २०० किड्स विद आर्थोपिदिक प्रोब्लम्स ,डॉक्टर्स फ्रॉम आल ओवर दी वर्ल्ड विल ट्रीट डैम फ्री इन बेंगलोर .(टाइम्स आफ इंडिया ,पृष्ठ १६ ,सन्डे सितम्बर १३ ,२००९ )
प्रस्तुती :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )

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