रविवार, 6 सितंबर 2009

दूर से हाथ जोड़ लो भइये,विनम्रता को गोली मारो ....

शिष्टा -चार ,अभिवादन औ खुशी का इज़हार करने के अलग अलग तरीके रहें हैं दुनिया भर में .स्वां -फ्लू की आलमी -दस्तक (ग्लोबल नोक ),विश्व -मारी बनते स्वरूप ने दुनिया भर को खबरदा र किया है -कोई हाथ भी ना मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक से ,ये नए मिजाज़ का शहर है ,जरा फासले से मिला करो ।
औ सच -मुच अभिवादन की रस्में एक तरफ ,फ्लू से बचाव दूसरी तरफ -फैसला आप को ही करनाहै .रस्मो -रिवाज़ के मुताबिक आप हाथ मिलाना ,हाई -फाइव करना ,दोनों गालो को चूमना ,गले मिलना (ईद -मुबारक या फर रमादान )जारी रखेंगे या दूर से ही हाथ जोड़ लेंगे कहते हुए -राम -राम भाई ।
जो हो देखतें हैं दुनिया भर में इस फ्रंट पर क्या हो रहा है ।औ क्यों हो रहा है ?
क्या इसलिए ,लोग वाकिफ हैं ,स्वां फ्लू संक्रमित व्यक्ति जब छींकता है -बिना साव धानी के सीधे सीधे हवा में ,एच १ एन १ इन्फ़्लुएन्ज़ा -ऐ वाय-रस हवा में उड़तीबुन्दियों पे सवार हो तीन चार फीट आगे तक फ़ैल जाता है ,जमीन पर पहुंचने से पहले ।
kitnee दफा हम अपने हाथ मुह से छुआते है ,इसका हमें कोई इल्म नहीं ,सेंकडों दफा ,सच है ये भी ।
तो जनाब वायरस हमारे हाथों तक ही नहीं सीमित है ,चेहरे पर भी है .फोन हेड सेट पर भी है ,कोम्पुटर की बोर्ड पर भी चस्पां है .बचाव में ही बचाव है .

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