शुक्रवार, 16 अक्तूबर 2009

क्या पार जातीय बैंगन (जेनेटिकली मोडिफाइड ब्रिंजल )?

साइलबेक्तीरियम (मिटटी में मौजूद एक जीवाणु )बेसैलास -थ्युरिन -जिएंसिस से एक जीन निकालकर बेंगन में डालकर बेंगन की एक हाई -ब्रीद आनुवंशिक तौर पर तैयार की गई नाशक -जीव रोधी (पेस्ट रेजिस्तेंत )किस्म को ट्रांसजेनिक ब्रिंजल या फ़िर बी टी -ब्रिंजल कह दिया जाता है .बेंगन की खेती भारत के अलग अलग राज्यों में गत ४,०००सालो से हो रही है -अनेक स्थानीय किस्में हैं बेंगन की जो ना तो खाद की मांग करतीं हैं ना कीटनाशी या फ़िर विनाशक जीव -नाशी (पेस्तिसाईद )की .अलबत्ता इस फसल का ५० -७० फीसद भाग नाशक -जीव ब्रिंजल फ्रूट एंड शूट बोरर (एक कीट यथा लेपिदोप तेरां )द्वारा नष्ट कर दिया जाता है ,फसल को यह कीट बरबाद कर जाता रहा है ,गत दो तीन दशकों से यही हो रहा है .इन्सेक्ट लयूसिनोदेस ओर्बोनालिस ब्रिंजल फ्रूट एंड शूट बोरर तथा हेलिकोवेर्पा अर्मिगेरा फ्रूट बोरर के रूप में कुख्यात है ।
दरअसल बेंगन की संकर किस्म में शामिल बी टी तोक्सिन इस कीट की पाचन क्रिया को तहस नहस कर इसे नष्ट कर डालती है ,और फसल की बर्बादी कम तर हो जाती है ।
आर्थिक रूप से यदि अब तक होने वाली नुकसानी का जायजा लिया जाए तो गत दो या तीन दशकों में ही २२ करोड़ दस लाख डालर की फसल नष्ट हो चुकी है ,शायद इसीलिए बी टी ०ब्रिन्जल का गुन्गायन इन दिनों चल रहा है ।
एक तुलनात्मक आंकडा देखिये -जहाँ बी टी ब्रिंजल हाई ब्रीद में शूट नुकसानी ०.०४ -०.३ तक थी वहीं इसकी नॉन बी टी हाई ब्रीद में यही नुकसानी ०.१२ -२.५ फीसद बतलाई गई है .

1 टिप्पणी:

Ajay Tripathi ने कहा…

पारजाति तो पारजाति है क्‍या पूरी पहचान केवल प्रयोगों के आधार पर तय की जा सकती है