शुक्रवार, 2 अक्तूबर 2009

मोबाइल आफिसिस यह कैसा मुकाबला है -उत्पादक या घातक ?

"एट सिक्सटी माइल्स पर आवर ,आफिस बिहाइंड दी वील इन्वाइत्स डिसास्टर "शीर्षक से प्रकाशित ख़बर बरबस ही ध्यान खींचती है ,सोचने को मजबूर करती है -यह कैसी प्रतियोगिता है -उत्पादक या घातक -कार चलाते हुए भी बोसिज़ और कंज्यूमर्स से बराबर संपर्क ,फोन पर बातचीत ,इ- मेलिंग ,हर पल का हिसाब ,कोई चूक मुआफ नहीं ।चूके और प्रतियोगिता से बाहर ?
पोटाश निगम (पोटाश कोर्पोरेशन )में मेनेजर है देकोक .एक सुबह उसे पता चला फोन पर इत्तला मिली एक उपभोक्ता ने मवेशियों के फीड में मिलाये जाने वाले एक एडिटिव (संयोजी पदार्थ )का आर्डर इस बिना पर रद्द कर दिया है ,सारा माल संदूषित है .देकोक उस समय स्टीअरिंग वील पर थे कार चला रहे थे -सो वाट -कार और एक कंधे के सहारे उन्होंने मोबाइल कान से लगाया और अपने लेप ताप से अपने मातहतों को फ़ौरन नया कन्साइन्मेन्त भेजने के लिए विस्तृत इ -मेल पूरे ब्यौरे के साथ कर दिया ।देकोक उस वक्त एक कन्स्त्रक्ष्ण ज़ोन में एक हाई वे पर (नार्थ केरोलिना फ्री वे )पर कार चला रहे थे ।
बेहद उत्तेजित थे वह यह सोचते हुए अपनी तरफ़ से वह बहुत उत्पादक काम कर रहें हैं -उत्तेजना के क्षणों में एड्रिनेलिनका स्राव जो करादे सो कम .जब होश आया इल्म हुआ कितना जोखिम उठा रहा था मैं तब बुदबुदाया -"आई वाज़ बोजो दी क्लाउन"।
सब का अपना पाथेय पंथ एकाकी है /अब होश हुआ जब इने गिने दिन बाकी हैं ।
देकोक को अपनी गलती का एहसास हुआ पर अमरीका की सड़कों पर फ्री -वे पर कितने ही देकोक ड्राइव करते समय मोबाइल्स और लेप्टोप्सके ढेर पर बैठें हैं ।दिल में छुपा के प्यार का तूफ़ान ले चले /हम आज अपनी मौत का सामान ले चले ।
इसे मोबाइल आफिस कहतें हैं ,यहाँ २४ क्ष७ घंटा (चौबीस घंटा सर्खापाई है ,यह कैसी प्रतियोगिता है ?).काम काम और काम .उद्द्यमि, सेल्स से जुड़े लोग मार्कितीयार्स इसे वक्त की ज़रूरत बतला रहें हैं ।
क्रूर निष्ठुर अर्थ व्यव्शथा के इस दौर में हर पल मुकाबला है हर पल के मानी हैं ,ज़रासी चूक और प्रतियोगिता से बाहर ।
पल भर में फैसला ले लेना है .यही तो है -हाड तोड़ प्रतियोगिता ।
"दी कम्पल्शन तू वर्क वाइलड्राइविंग ओफ़्तिन त्रम्प्स एविडेंस देत इट्स देजरस "-जो लोग गाड़ी चलाते वक्त भी दफ्तर करते हैं ,फोन पर मशगूल रहतें हैं ,उनके दुघटना ग्रस्त हो जाने की संभावना चार गुना बढ़ जाती है बनिस्पत उनके जो सावधानी पूर्वक सिर्फ़ गाड़ी चलाते हैं ।
ध्यान भंग की वजह बनती है -ध्यान का बटवारा -एक अनार सौ बीमार ."स्प्लिटिंग अटेंशन बिटवीन एक्टिविटीज़ ओफ़्तिन लीड्स तू बेड दिसिज़ंस
"उत्पादकता बढ़ने का भी एक भ्रम है ,इल्यूज़न है ,यह सब काउंटर -प्रोडक्टिव है "-यह कहना है -मोबाइल आफिसिज़ के सन्दर्भ में मनो -विज्ञानी डेविड मायर का .आप मिशिगन विश्व -विद्यालय से सम्बद्ध हैं ।
सन्दर्भ सामिग्री ;-एट सिक्सटी माइल्स पर आवर ,आफिस बिहाइंड दी वील इन्वाइत्स डिजास्टर (टाइम्स आफ इंडिया ,अक्टूबर २ ,२००९ .पृष्ठ २३ )
प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )

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