रविवार, 25 अक्तूबर 2009

भारत की ख़राब होती सेहत

धीरे धीरे भारत रोगों की राजधानी बनता जा रहा है ,वजह है गत तीन दशकों में खान -पान की आदतों में आया बदलाव ।
आज भारत में कुल ५ करोड़ ८० लाख लोग मधुमेह (डायबिटीज़ )से ग्रस्त है २०१० तक इनकी संख्या बढ़कर ५ करोड़ ८७ लाख हो जायेगी (स्रोत इन्टरनेशनल दाय्बेतिक फॉरम )।
लांसेट (ब्रितानी विज्ञान पत्रिका )में २००८ में संपन्न एक अध्धय्यन के नतीजे प्रकाशित हुए है जिनमे बत - लाया गया है ,२०१० तक दुनिया भर में दिल के मरीजों का ६० फीसद भारत में होगा ।
कैंसर ,हाई -पर्तेंशन ,ओबेसिटी में भी भारत का ट्रेक रिकोर्ड अच्छा नहीं हैं .गर्भाशय -ग्रीवा (सर्विक्स ),ओरल कैंसर आदि के मामले भारत में बेशुमार बढ़ रहें हैं ।
चिकित्सा विज्ञान के माहिर इसकी वजह खान पान में आया आकस्मिक बदलाव बतलातें हैं -नतीजा है ,जीवन शैली रोग का फैलाव ।
आबादी में हमसे बहुत आगे रहा आया चीन सेहत के मामले में हमसे बेहतर है तो इसकी वजह साइकिल पर आना जाना रहा है ।
अलावा इसके चीनी खुराख में प्रोटीन ज्यादा चिकनाई कम है ,जबकि भारत में चिकनाई अन्य नस्लों के बरक्स २५ फीसद ज्यादा खाई जा रही है .मीठे (कार्बो -हाइड्रेट्स )के भी शौकीन रहें हैं भारतीय ।
असली कुसूरवार एक जीन है (थ्रिफ्ती जीन है यह )।
नतीजन एशियाई भूखों तो रह सकतें हैं ,अधिक खाना पीना इन्हें रास नहीं आता .इसीलिए इंसुलिन इन्तोल्रेंस बढ़ रहा है ,इंसुलिन इन्तोल्रेंस का मतलब है -डायबिटीज़ और मोटापा ।
सन्दर्भ सामिग्री :-इंडिया :डिजीज केपिटल (टाइम्स आफ इंडिया ,अक्टूबर २५ ,२००९ ,पृष्ठ २० )
प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )

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