सोमवार, 19 अक्तूबर 2009

दादाजी के नेट पे बैठने का मतलब "डिमेंशिया"से बचाव .

यूनिवर्सिटीआफ केलिफोर्निया लासेंजीलीज़ में न्यूरो -साइंस के प्रोफेसर गेरी स्माल द्वारा संपन्न एक अध्धय्यन से इस बात की पुष्टि हुई है ,नेट सर्फिंग से बुजुर्ग लोगों का दिमाग पैना हो जाता है ,दिमागी सक्रियता बढ़ जाती है ,नतीजतन उम्र सम्बन्धी डिमेंशिया ,याद -दाश्त का छीजना भी कमतर हो जाता है .अपने इस अध्धय्यन में गेरी ने ५५ -७८ साला २४ मर्दों और औरतों को शामिल किया -इनके फंक्शनल मेग्नेटिक रेसोनेंस इमेजिंग के ज़रिये ब्रेन स्केन्स उस समय लिए गए जब ये इंटरनेट सर्चिंग में मशगूल थे ।
पता चला नेट सर्चिंग एक ब्रेन -स्तिम्युलेंत का काम कर रहा है -ब्रेन की सक्रियता यकायक बढ़ गई है ,सैसन समाप्त होने पर भी सक्रियता बढ़ी हुई दर्ज की गई ।
इस प्रक्रिया में रक्त संचरण में होने वाले परिवर्तन (ब्लड फ्लो )के ज़रिये इस बात का जायजा लिया गया -दिमाग का कौन सा हिस्सा सबसे ज्यादा और कौनसा कमतर सक्रीय रहा .,नेट सर्फिंग के दरमियान और थोडा उसके बाद में भी यही सक्रियता कायम देखी गई -इसके बाद इन लोगों को घर पर एक पखवाडेमें केवल सात बार एक घंटा विशेष सार्फिंग करते रहने के लिया कहा गया ।
इस स्पेसल टास्क को संपन्न कर लेने पर एक बार फ़िर इनका ब्रेन स्केन उतारा गया ।
पता चला -पहले लिए गए स्कैन में दिमाग के उन हिस्सों में बढ़ी हुई सक्रियता दर्ज की गई -जिनका सम्बन्ध भाषिक नियंत्रण ,पढने ,याद दाश्त और विज़न (नज़रिए )से होता है ।
दूसरे स्केन के वक्त तक एक्तिवेतिद एरियाज़ (दिमाग के सक्रियकृत क्षेत्र ) विस्तारित होकर फ्रंटल ज्ञ्रुस तक पहुँच चुके थे ।
यही वह क्षेत्र है (ऐ रौंदिद रिज आन दी आ -उतर लेयर आफ दी ब्रेन -फ्रंटल जैरुस )जो वर्किंग मेमोरी और दिसिज़ं न मेकिंग (निर्णय लेने की क्षमता )से तालुक्क रखता है ।
जाहिर है पढने से ज्यादा मुफीद है -नेट सर्फिंग जिसमे एक साथ कई टास्क संपन्न करने पडतें हैं -ला -इक होल्डिंग इन्फार्मेशन इन मेमोरी वा -इल असेसिंग दाता आन स्क्रीन .

1 टिप्पणी:

शरद कोकास ने कहा…

यह तो काफी सकारात्मक समाचार है ।