मंगलवार, 13 अक्तूबर 2009

मेच्युओरिती आन सेट डायबीटीज़ आफ दा यंग ...

जन्मजात मधुमेह (इंसुलिन डिपेंडेंट डायबीटीज़ )तथा नॉन -इंसुलिन डिपेंडेंट डायबीटीज़ के अलावा अब "मेच्योरिटी आन सेट दायाबीतीज़ के मामले "मद्रास डायबेतिक रिसर्च फाउन्देशन को देखने को मिले है ।
कारण है -जीन त्रेंस्म्युटेशन (यानी जीन उर्परिवर्तन )।
इस प्रकार की दायाबीतीज़ को संक्षेपमें नाम दिया गया है -"मोदी "यानी -एम् ओ दी आई (मेच्योरिटी आन सेट दायाबीतीज़ )।
दायाबेतोलाजिस्त डॉक्टर वी मोहन के अनुसार "मोदी "नतीजा होता है उस जीवन खंड में होने वाले उत्परिवर्तन (जेनेटिक म्यूटेशन )का जो इंसुलिनके निर्माण की प्रक्रिया का विनियमन (रेग्युलेट )करता है .उत्परिवर्तन के बाद इंसुलिन निर्माण की प्रक्रिया के गडबडा जाने से खून में घुली शक्कर का स्तर बढ़ जाता है ।
विरासत में मिलती है -यह बीमारी -मेच्योरिटी आन सेट दायाबीतीज़ -और म्युतेतिद जीन माँ -बाप में से किसी एक से मिलती है उनकी संतानों को .यदि दो बच्चे हैं ऐसे माँ -बाप के हैं तो दोनों ही "मोदी "के चपेट में आयेंगे ।
"मोदी" की भी ६ किस्में (टाइप्स हैं )हैं .सब का इलाज़ (प्रबंधन )और लक्षण जुदा हैं .इनमे से "मोदी -१ ,मोदी -२ ,मोदी -३ ,के अपेक्षया ज्यादा मामले सामने आयें हैं -बकौल डॉक्टर वी मोहन ।
मद्रास दाय्बेतिक रिसर्च सेंटर के जेनेटिक्स विभाग के मुखिया वी राधा के मुताबिक एक ही परिवार के आठ लोगों में हालाकि "मोदी -३ "किस्म देखने को मिली लेकिन इन मामलों में एक नया जीन म्यूटेशन देखने को मिला है ।
इस उत्परिवर्तन के दौरान एक अमीनो -अमल में बदलाव आ जाता है ।इस अध्धय्यन के नतीजे "क्लिनिकल एन -दो -क्रैनोलाजी एंड मेटाबोलिज्म "जर्नल में प्रकाशित हुए हैं .
सन्दर्भ सामिग्री :-जेनेटिक म्यूटेशन केंएन आल्सो काज दायाबीतीज़ (टाइम्स आफ इंडिया ,अक्टूबर १३ ,२००९ ,पृष्ठ १३ )
प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई ).

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