रविवार, 11 अक्तूबर 2009

क्या आप जान सकतें हैं -मेरे दिमाग में क्या चल रहा है ?

हम संप्रेषण के लिए वाणी का स्तेमाल करतें हैं लेकिन क्या हमारा दिमाग वाणी का स्थान ले सकता है -यानी मैं यह जान समझ सकता हूँ ,आपके दिमाग मै क्या चल रहा है .यदि ऐसा हो सका तो आपके करने से पहले ही मैं जान सकूंगा आप क्या करने वाले हैं ।
ब्रितानी विज्ञानियों ने ब्रेन -तू -कंप्यूटर -इंटरफेस प्रोद्योगिकी से सम्बद्ध कुछ ऐसे ही प्रयोग किए हैं ।
साउथ एम्प्तन विश्व -विद्यालय के विज्ञानियों ने अपने एक अध्धय्यन के तहत दो अलग अलग इंसानों के दिमाग को एक इलेक्ट्रो -एन्सिफेलोग्रेम एम्प्लीफायर से इलेक्ट्रोडों की मदद से जोड़ा .,दो कंप्यूटर और एक लाईट एमिटिंग डायोड से और एक ,इंटरनेट कनेक्शन से जोड़ा ।
अब इनमे से एक आदमी से कहा गया वह अपना हाथ हिलाने के बारे में सिर्फ़ सोचे ,हाथ को हिलने का आदेश देने की सोचे ,हाथ वास्तव में हिलाए नहीं .यानी कुल मिलाकर अपने ख़याल को कंप्यूटर पर भेजे .विचार की ताकत को आजमाए .उसने ऐसा ही किया ।
उसके विचारों को कंप्यूटर ने फ़ौरन बाइनरी डिजिट (कम्प्यूटर की अपनी जीरोज़ और वनज की भाषा )में तब्दील कर दिया .नेट के द्वारा जैसे ही इस आदमी के दिमागी संकेत दूसरे कम्प्यूटर पर पहुंचे दूसरे व्यक्ति ने दिपदिपाती (फ्लेशिंग ) लाईट एमिटिंग डायोड की रोशनियाँ देखीं .अब इनका मिलान (मेचिंग )बाइनरी डिजिट्स से किया गया .यकसां थे -दोनों ।
नेशनल ब्रेन रिसर्च इंस्टिट्यूट रिसर्च सेंटर ,मानेसर (हरयाणा )के एक वरिष्ठ विज्ञानी नीरज जैन इसे ब्रेन -तू -ब्रेन संवाद (कम्युनिकेशन )नहीं मानते .क्योंकि यहाँ एक आदमी के विचार सीधे सीधे दूसरे तक नहीं पहुंचे थे .(विचार का मतलब सिग्नल या संकेतों से है )।
अलबत्ता यह "ब्रेन -कंप्यूटर -इंटरफेस टेक्नालाजी "के विकास की दिशा में उठा एक महत्व -पूर्ण कदम ज़रूर है ।
जब हम कुछ भी सोचते ,करतें हैं ,हमारे दिमाग में सम्बद्ध विद्युत संकेत पैदा हो जातें हैं .यानी योजना से पहले उसका प्रारूप तैयार हो जाता है ।
कोई ऐसी प्रोद्योगिकी जो इस ब्लू -प्रिंट को भांप सके ,तभी और केवल तभी आदमी के इरादे जाने जा सकतें हैं ,उसके कुछ भी करने से पहले ।
वास्तव में साउथ -एम्प्तन विश्व -विद्यालय के विज्ञान कर्मियों ने जो कर दिखाया है ,वह कम नहीं हैं .अब यदि आप कंप्यूटर पर बैठकर सिर्फ़ उसके कर्सर को नियंत्रित (कंट्रोल )कर सकतें हैं ,तब आप एक वर्च्युअल रिएलिटी इनवायरनमेंट में बहुत कुछ कर सकतें हैं विकलांग भाई अपने छोटे मोटे काम ख़ुद अंजाम दे सकतें हैं ,कई गेजेट्स संचालित कर सकतें हैं ,अपनी वील चेअर ड्राइव कर सकतें हैं ।॥
अलावा इसके "ब्रेन -कंप्यूटर -इंटरफेस "प्रोद्योगिकी का चिकित्सा क्षेत्र में भरपूर फायदा उठाया जा सकता है ।
सन्दर्भ सामिग्री :-यूओर पर्सनल कंप्यूटर केंएन रीड यूओर माइंड (यूरेका )-टाइम्स आफ इंडिया ,अक्टूबर ११ ,२००९ ,पृष्ठ २६ ।
प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )

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