शनिवार, 14 नवंबर 2009

प्रयोगशाला में तैयार किया गया शिश्न गर्भाधान में कामयाब

वेक फॉरेस्ट यूनिवर्सिटी बेप्टिस्ट मेडिकल सेंटर के इंस्टिट्यूट ऑफ़ रिजेंरेतिव मेडीसिन के विज्ञानी अन्थोनी अटाला के नेत्रित्व में शोधकर्ताओंने क्रत्रिम शिश्न तैयार करने में कामयाबी हासिल की है ,इतना ही नहीं इसका प्रत्यारोप प्राप्त हो जाने के बाद खरगोश गर्भाधान करने में कामयाब रहें हैं .अटाला जो पेशे से एक पीडियाट्रिक यूरोलोजिस्ट हैं अक्सर आपको मूत्राशय के जन्मजात रोगों के अलावा ऐसे अनेक मामले देखने पडतें हैं जहाँ बच्चा देफिशियेंत जेनितेलिया ( आधे अधूरे बाहरी प्रजनन अंग )लिए पैदा होता है .अटाला इस शोध को उन लोगों के लिए उम्मीद की नै किरण मानतें हैं जो या तो किसी दुर्घटना में अपने प्रजनन अंग चोट ग्रस्त कर लेतें हैं या फ़िर जन्म जात ही बाहरी प्रजनन अंग आधे अधूरे लिए ही इस दुनिया में आ जातें हैं ,या फ़िर पीनाइल कैंसर (शिश्न कैंसर ),ट्रोमेटिक पीनाइल इंजरी ,ओरगेनिक इरेक्टाइल डिसफंक्शन (लिंगोथ्थान अभाव )का शिकार होतें हैं ।
कुल प्रक्रिया मात्र ६ हफ्ते लेती है जिसके तहत शिश्न प्रत्यारोप बालक के शरीर केअन्य अंगों की तरह ही शरीर के साथ ही बढ़ने लगता है .शरीर का हिस्सा बनजाता है .अटाला आश्वस्त हैं ,देर सवेर इसी विधि से शरीर के अन्य पेचीला अंग -प्रत्यारोप भी तैयार करके रोर्पे जा सकेंगें ।
पूर्व में अटाला की यही टीम क्लितोरल तिस्यु (क्लितोरल इस दी मोस्ट सेंसिटिव पार्ट ऑफ़ फिमेल जेनितेलिया ,अकिन तू ऐ मेल पेनिस )भी तैयार कर चुकी है ,कृत्रिम मूत्राशय भी तैयार कर चुकी है मरीजों की अपनी ही कोशिकाओं से ।
लेकिन खरगोशों पर संपन्न प्रयोग कामयाबी की दिशा में एक बड़ा कदम हैं ।
अटाला माहिर हैं रिजेंरेतिव मेडिसन के जिसके तहत शरीर से ही कोशिकाएं लेकर टूट फ़ुट ,शरीर के क्षतिग्रस्त अंगों को ठीक कर लिया जाता है ।
संदर्भित प्रयोग के तहत अटाला की टीम ने पहले तो एक खरगोश से शिश्न लेकर एक स्केफोल्ड (ढांचा )तैयार किया इसमे से तमाम जीवित कोशिकाओं को निकाल दिया गया ,सिर्फ़ उपास्थियाँ (कार्तिलेजिज़ )छोड़ दी गईं ।
अब एक और खरगोश के शिश्न (पेनिस )से एक छोटा सा ऊतक का टुकडा लिया गया और कोशिकाओं को एक लेब डिश में संवर्द्धित किया गया (ग्रो किया गया )।
१८ साल लगें हैं इस काम को अंजाम तक ले जाने में .इस दरमियान एक एकदम सटीक ग्रोथ्फेक्टर ,कोशिकाओं के संवर्धन बढ़ वार के लिए सही सूप (माध्यम )की खोज जारी रही है ।
सुनिचित किया गया दो सेल टाइप्स की उपलब्धि को (स्मूथ सेल्स एंड इंडो ठेलिअल सेल्स यानी अन्तः स्तरीय कोशिकाएं ).रक्त कोशिकाओं का अस्तर ऐसी ही कोशिकाएं तैयार करतीं हैं .स्मूथ मसल सेल्स ओरगन (पेनिस )को स्पोंजी बनाने में कारगर साबित हुए तथा अन्तः स्तरीय सेल्स रक्त नालियां तैयार करवाने में मदद गार रहे .आखिर शिश्न कोलिंगोथ्थान के लिए पूरा रक्त चाहिए .दी सेल्स वर सीदिद ओं न तू दी स्केफोल्ड ,बस ६ सप्ताह बाद पेनिस तैयार हो गए और रोप दिए गए उन खरगोशों को जिनके शिश्न काट कर अलग कर दिए गए थे .जैसे ही इन्हें पिंजरे में मुक्त छोडा गया यह ना सिर्फ़ सम्भोग रत हुए कामयाब रहे गर्भाधान करवाने में अपने मेट को .चार खर्गोश्नियों ने बाकायदा गर्भ धारण कर लिया .जिन्हें सिर्फ़ स्केफोल्ड रोपा गया था वह निष्क्रिय रहे .स्केफोल्ड का नोटिस भी नहीं लिया इन्होनें .एस्क्स्युअल एक्टिविटी का ऐसे में सवाल ही कहाँ था .

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