शनिवार, 28 नवंबर 2009

अति महत्वपूर्ण है खाने का वक्त भी ...

क्या खातें हैं आप इसके अलावा यह भी देखना सेहत के लिहाज़ से लाज़िम है ,कब खातें हैं आप ?
एक संयुक्त भारत -अमरीकी अध्धय्यन में चूहों पर किए गए प्रयोगों से पता चला , यकृत (लीवर )में मौजूद हज़ारों जीवन खंड (जींस )की सक्रियता में घट बढ़ का सीधा सम्बन्ध खाने के वक्त सेतो है ही है , इस बात से और भी ज्यादा है ,आप खाते क्या हैं ।
केलोरीज़ को ठिकाने लगाने वाला मेटाबोलिक रेट्स का विनियमन करने वाला यकृत और वहाँ मौजूद हज़ारों जींस की वेक्सिंग और वेनिंग इस बात से प्रभावित होती है ,असर ग्रस्त होती है आप खातेंक्या हैं ।
बकौल सच्चिदानंद पांडा (आप साल्क इंस्टिट्यूट फॉर बाय लोजिकल स्टडीज़ में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के बतौर कार्य रत हैं )यदि स्वतंत्र रूप से केवल इस बात पर जीवन खण्डों की फौज की सक्रियता निर्भर करती है ,रोजाना अपनी दैनिकी में आप कब खातें हैं ,कब व्रत रखतें हैं ,कब भूखों रहतें हैं ,तब इसका बहुत ही महत्वपूर्ण असर पडेगा हमारी रेत ऑफ़ बर्निंग केलोरीज़ पर .,मेताबोलिस्ज्म पर ,कुल मिलाकर हमारी सेहत पर ।
(इफ फीडिंग टाइम दितार्मिंस डा एक्टिविटी ऑफ़ ऐ लार्ज नंबर ऑफ़ जींस कम्प्लीटली इन्दिपेन्देन्त ऑफ़ दा सर्कादियन क्लोक ,व्हेन यु ईट एंड फास्ट ईच दे विल हेव ऐ ह्यूज इम्पेक्ट ओं यूओर मेटाबोलिज्म सेज सच्चिदानंद पांडा )
क्या इस अध्धय्यन से अब यह बात समझी जा सकती है ,आख़िर क्यों शिफ्ट वर्कर्स को मधुमेह ,हाई -पर कोलेस्त्रिमियाँ और मोटापे का ख़तरा बना रहता है .

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