मंगलवार, 17 नवंबर 2009

मिर्गी के बारे में पूछे गए आम सवाल ....

क्या है "मिर्गी "/अपस्मार /एपिलेप्सी ?
यह एक प्रकार का न्युरोलोजिकल दिस -ऑर्डर (तंत्रिका वैज्यानिक विकार )है .स्नायुविक यानी नर्वस सिस्टम से ताल्लुक रखने वाला एक विकार है जिसमे ,मरीज़ को बार बार /अक्सर दौरे पडतें हैं और वह चेतना खो बैठता है २-३ मिनिट तक रहती है सीज़र्स की अवधि .अक्सर इसमे हाथ पैर को फडकन ,जर्किंग ऑफ़ लिम्ब्स .मुह से झाग निकलना देखा जा सकता है ,मरीज़ पर ख़ुद का नियंत्रण नहीं रहता ,इस स्तिथि में उसकी जीभ अपने ही दांतों के बीच आ सकती है ।
ज़रूरी नहीं है ,मरीज़ हमेशा चेतना ही खोये .कई मर्तबा मरीज़ एक दम से निष्क्रिय हो शून्य में ताकने लगता है (ब्लेंक स्टे -आर ,विचार शून्य ,लक्ष्य हीनसपाट चेहरा हो जाता है मरीज़ का ),प्रतिकिर्या हीन होती है यह स्तिथि .गिर भी सकता है मरीज़ इसी स्तिथि में मरीज़ का इस प्रकार से गिरना भी सीज़र्स का ही हिस्सा होता है ।
इस स्तिथि में एंटी सीज़र्स दवाएं दी जातीं हैं ।
दौरा /सीज़र्स /न्यूरोन डिस्चार्ज वास्तव में हैं क्या ?सीज़र्स का मतलब है -दिमाग की रिदम का टूटना .इस स्तिथि में सारे शरीर में तनाव /मरोड़ /झटके लगने के साथ मरीज़ बेहोश भी हो सकता है .मरीज़ सिर्फ़ घूरता भी रह सकता है -जैसे किसी चीज़ को घूर रहा हो.(स्टे -अरिंग स्पेल कहतें हैं इसी को )।
मरीज़ के शरीरका कोई भी एक हिस्सा भी असर ग्रस्त होते देखा जाता है मसलन चेहरे का ऐंठना (फेशियल त्विचिंग )./केवल एक हाथ या एक पैर में झटके लगना ,फडकन होना ,एंठना किसी भी हिस्से का देखा जा सकता है ।
क्या एपिलेप्सी खानदानी बीमारी है /परिवारों में चलने वाला रोग है ?
केवल एक फीसद मामले खानदानी विरासत होतें हैं (हेरिदित्री होतें हैं )।
क्या एपिलेप्सी एक ला- इलाज़ ठीक ना होने वाला रोग है ?
अन्य रोगों की तरह इसका भी बाकायदा इलाज़ है .अलबत्ता कोई शोर्ट कट नहीं है .दौरा मुक्त अवधि में भी दवा चलती है ,३ -४ साल तक या और भी ज्यादा अवधि के लिए ।
क्या एपिलेप्सी के मरीज़ शादी ब्याह रचा सकतें हैं .संतान होतीं हैं इनकी ?
बाकायदा शादी करके आम जीवन बिता सकतें हैं .फेमिली भी चिकित्सक की निगरानी में प्लान कर सकतें हैं ,शुरू से ही प्री नेटल केयर लेते हुए कामयाबी से स्वस्थ संतान पैदा कर सकतें हैं .ज़रूरत एक स्वस्थ नज़रिए जीवन दृष्टि की है .बीमारी को लेकर पुराने तमाम मिथक टूट चुकें हैं .एक आम फ़हम रोग है जिसके साथ सामान्य जीवन जिया जा सकता है .पीपुल विद एपिलेप्सी कोई अजूबा नहीं हैं .८००,००० लोग है ऐसे हिन्दुस्तान में .

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