रविवार, 7 फ़रवरी 2010

प्लूटो का मायावी संसार .

बेशक २००६ में प्लूटो को ग्रह -कुल (ग्रह-pअरिवार )से बहिष्कृत कर प्लेनेटोइड(ड्वार्फ -प्लेनेट )का दर्ज़ा दे दिया गया ,लेकिन सौर मंडल का यह सबसे बाहरी ग्रह समझा जाता था ,जिसका रेदिअस पृथ्वी के रेदिअस का ०.१८ मात्र है ,द्रव्यमान पृथ्वी के द्रव्यमान का ०.००४ ,पृथ्वी से जिसकी दूरी ३९.३३ ए यु (अस्त्रोनोमिकल यूनिट )है .पृथ्वी और सूरज के बीच की औसत दूरी को एक ए यूं कहा जाता है (एक ज्योतिर्विग्यानिक इकाई )।
लेकिन हबिल दूरबीन से ली गई प्लूटो की तस्वीरे प्लूटो पर पृथ्वी की मानिंद होने वाले मौसमी बदलावों ,एवं वायुमंडलीय बदलाव की खबर दे रहीं हैं .ना सिर्फ इसकी रंगत (लूक्स )बदल रही है ,हिम चादर भी अपना स्थान बदल रही है ।
तस्वीर दर तस्वीर एक नै इबारत लिख रही है .कहीं बर्फीली सीरे सी रंगत (दी थिकसिरप द्रैंड फ्रॉम सुगर इन दी प्रोसिस ऑफ़ रिफाइनिंग त्रेअक्ले इस काल्ड मोलासिस और सीर /खांड इन हिंदी ).तो कहीं प्लूटो की चित्तीदार छवि मौसम के साथ अपना रंग रूप बदल रही है .सतह की रंगत के साथ साथ इसकी ब्राइटनेस भी बदल रही है ।
चिर यौवना के रूज़ लगे कपोलों सी आभा हो गई है प्लूटो की .जबकि इसका रोशन उत्तरी -गोलार्द्ध और चमकीला (ब्राईट )होता जा रहा है ।
इसकी वजह संभवतय सूरज से आलोकित ध्रुवीय सतह से हिम का सीधे सीधे वाष्प में बदलना (सब्लिमेट)होना है ।
जबकि सूरज से परे वाले ध्रुव पर इस राशि का दोबारा हिमराशी (हिम )में बदलना है . ऐसा इसके २४८ दिनी सीजनल साइकिल (पीरियड ऑफ़ रिवोल्यूशन २४७ .७ ईयर्स )की अवधि में हो रहा है .यानी सूर्य के गिर्द परिक्रमा के दरमियान इसका रंग रूप बदल रहा है ।
इसकी एक और वजह इसके परिमंडल (वायुमंडल )में मीथेन का डेरा है .हम जानतें हैं इस गैस में कार्बन और हाइड्रोजन परमाणु होतें हैं .(एक मीथेन अनु एक कार्बन और चार हाइड्रोजन परमाणु लिए है .सौर पवन (सोलर विंड )हाड्रोजन के अनु को हाइड्रोजन से अलग कर देती है .सतह पर रह जातें हैं ,कार्बन बहुल क्षेत्र .यही लाल और दार -कर दिखलाई दे रहें हैं .

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