गुरुवार, 18 फ़रवरी 2010

नींद से जुडी है निर्णय लेने की क्षमता ....

विज्ञानियों ने बारहा ६-८ घंटा नींद अच्छे स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी बतलाई है .अब नीदर्लेन्ड इन्स्तित्युत ऑफ़ न्यूरो -साइंसिज़ ने "बायलोजिकल साइकेट्री"पत्रिका में प्रकाशित अपने एक अध्धययन मेंअनिद्रा और हमारे दिमाग के निर्णय लेने की क्षमता में एक़ अंतर सम्बन्ध का पता लगाया है ।
अध्धययन में रिसर्चरों ने २४ उम्रदराज़ लेकिन अनिद्रा रोग से ग्रस्त लोगों के दिमाग के उस हिस्से में वाईट और ग्रे मैटर का ब्रेन इमेजिंग से पता लगाया है जो निर्णय लेने से ताल्लुक रखता है .शरीर को आराम भी यही हिस्सा करवाता है .वाईट और ग्रे मैटर के इस वोल्यूम की तुलना १३ ऐसे लोगों के इसी हिस्से में मौजूद वाईट और ग्रे मैटर वोल्यूम से की गई जो भरपूर नींद लेते थे ,नोर्मल सब्जेक्ट्स थे ये लोग .भौतिक और मनोरोग सम्बन्धी प्रावधानों का भी ख़याल रखा गया ताकि इन वजहों से अध्धययन के नतीजों में विक्षोभ पैदा ना हो ।
गहन अनिद्रा रोग से ग्रस्तलोगों के दिमाग के संदर्भित हिस्से में ग्रे मैटर डेंसिटी ह्रास ज्यादा दर्ज हुआ .अब सवाल यह है :पहले अंडा या फिर मुर्गी यानी ग्रे मैटर डेंसिटी का ह्रास अनिद्रा का कारण बना या अनिद्रा ने ग्रे मैटर के वोल्यूम को कमतर किया ।
अलबत्ता एक बात साफ़ है ,निम्न ओर्बिटो फ्रंटल ग्रे मैटर डेंसिटी अनिद्रा रोग (इनसोम्निया )के जोखिम को बढाता है .अध्धययन के मुखिया एल्लेमारिजिए अल्तेना का यही मानना है .आप केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी विश्विद्यालय के क्लिनिकल न्यूरो -साइंसिज़ विभाग में रिसर्च असोसिएट हैं .आप के ही शब्दों में आइन्दा सभी उम्र के लोगों पर ऐसी ही आजमा -इशें की जायेंगी ताकि यह पता लगाया जा सके ,पहले अंडा या फिर मुर्गी ?
अलबत्ता अनिद्रा रोग न्युरोलोजिकल डेमेज की वजह बन रहा है .उम्मीद रखिये अनिद्रा रोग का बेहतर इलाज़ खोजा जा सकेगा .

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