शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2010

गुज़रे ज़माने की बात हो चली है -डाइटिंग .

डाइटिंग को अब क्लासिक ,आउट डेटिड गुज़रे ज़माने की चीज़ माना जा ना लगा है .ऐसा हम नहीं स्वास्थ्य -विज्ञान के माहिर कह रहें हैं .मोटापे को घटाने का लेदेकर सर्जरी (शल्य चिकित्सा )ही एक मात्र ज़रिया नज़र आ रहा है .लेदेकर आदमी वजन तो फौरी तौर पर घटा लेता है ,असल बात उस घटे हुए वजन को बनाये रखने की है ।
जैसे ही आदमी डायटिंग शुरू करता है ,शरीर तंत्र में हारमोन बदलाव होने लगतें हैं .इसकी भरपाई के लिए शरीर को अतरिक्त चर्बी (फेट )बढाने का उकसावा मिलता है ।
ऐसे में सर्जरी ही एक मात्र समाधान है ,हारमोन बदलाव को लगाम लगाने का .यूनिवर्सिटी कोलिज लन्दन के राचेल बत्तेरहम ऐसे ही राय व्यक्त करतें हैं .स्थाई समाधान मोटापे से छुटकारे का शल्य कर्म ही है .

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