शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2010

वक्ष की महिमा अपरम्पार .......

कविवर दिनकर ने उर्वशी में लिखा :और वक्ष के कुसुम कुञ्ज सुरभित विश्राम भवन ये ,जहां मृत्यु के पथिक ठहर कर श्रान्ति दूर करते हैं . कवि रसलीन एक कदम और आगे निकल गए उन्होंने कहा :कनक छवि सी कामिनी ,कटी काहे को क्षीण /कटी को कंचन काटि विधि ,कुचन मध्य धरि-दीन्ह ।
अब साइंसदान भी यही कर रहें हैं ,नारी का आकर्षण बिन्दु ,उसकी सबसे बड़ी धरोहर ,माल मत्ता ,संपत्ति उसका वक्ष प्रदेश ,वक्ष स्थल है ।
असेट टेस्ट :मेन लुक एट ब्रेस्ट्स फस्ट (टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,फरवरी १९ ,२०१० ,पृष्ठ १९ केपिटल संस्करण )का भी यही लब्बो लुआब है जिसमे उस अध्धययन का हवाला दिया गया है जो हाल ही में संपन्न हुआ है .पता चला है तकरीबन आधे मर्द औरत का चेहरा बाद में देखतें हैं पहले उनकी नजर चुपके से उसके वक्ष स्थल को चोरी चोरी देख लेती है .एक दीर्घ सर्वे में पता चला है १० में से४ मर्द इस बात की तस्दीक करतें हैं ,वह दिन भर में एक औरत के वक्ष को कमसे कम १० बार तो निहार ही लेतें हैं ।
न्यू कासल के मर्द औरत के वक्ष स्थल के बीच के भाग क्लीवेज को झट से देख लेतें हैं उसकी आँखों में बाद को ही देखतें हैं .(दुनिया भर के मर्दों का यही हाल होगा ,हो भी क्यों ना सबसे पहले शिशु इसी वक्ष से ही तो पेय प्राप्त करता है अमृत पान करता है यही तो उसका प्राकृत टीका करण भी है फस्ट फीड इम्यून सिस्टम को बूस्ट करती है ,इम्युनिटी प्रदान करती है ,तभी से तो यह अनुराग चला आया है .औरत भी इस दौलत से बाखूबी वाकिफ है ,सारी कोस्मेटिक सर्जरी इस वक्ष की पुनर संरचना के गिर्द ही तो घूम रही है ।).
न्यू कासल के मर्दों ने तो मुक्त भाव से इसे माना है १००० मर्दों में से ज्यादातर ने यही कहा पहले हमारे लियें वक्ष पर नजर डालना ज़रूरी हो जाता है .चेहरे और आँखों का नंबर तो बाद को आता है ।
यहाँ तक की युवतियां भी दूसरी युवतियों के वक्ष स्थल का एक दिन में सात बार तक जायजा ले लेतीं हैं ,खासकर अपनी ब्रेस्ट एनवी संग्नियों का ,सहेलियों सहकर्मियों का . १० में से ९ औरतें बराबर ऐसा करतीं हैं .आधी इस बात की तस्दीक करतीं हैं उनकी कई ब्रेस्ट एनवी फ्रेंड्स हैं .ब्रितानी महिलायें तो अपने वक्ष प्रदेश के लघुतर आकार से दुखी हैं ६३ फीसद बड़ा वक्ष स्थल चाहतीं हैं .लेकिन आधे मर्द अपनी जोरू के वक्ष प्रदेश को संतोष जनक मानतें हैं उसमे किसी प्रकार के बदलाव कोस्मेटिक सर्जरी के वह हामी नहीं हैं .

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