शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2010

जानिये ,क्यों रो रहा है आपका लाडला ?

अक्सर माँ -बाप या केयर टेकर आया या फिर धाय माँ के लिए यह जानना मुश्किल हो जाता है ,आपका लाडला क्यों रो रहा है .रुदन ही शिशु की एक मात्र भाषा होती है .भूख लगने पर भी शिशु जोर जोर से रोता है कोई तकलीफ होने पर भी बौलकरता है ।

क्या है बौल -एनेलाइज़र(रुदन -विश्लेषक )?कैसे काम करता है यह बौल -एनेलाइज़र ?कैसे पता लगाता है शिशु संवेगों का ?

यह एक सांखिकीय कंप्यूटर प्रोग्रेम हैं जिसे जापानी साइंस दानों ने तैयार किया है .इसमें एक इंजिनीयरिंग तकनीक "प्रोडक्ट दिज़ईनिंगका"का स्तेमाल किया गया है जिसकाविकास १९७० दशक में मित्सुओ नगशिमा ने डिपार्टमेंट ऑफ़ कंप्यूटर साइंस तथा सिस्टम इंजिनीयरिंग के तत्वावधान में किया था .यह मुरोरण इन्स्तित्युत ऑफ़ टेक्नोलोजी ,होक्कैदो में स्तिथ है .इसे कांसी इंजिनीयरिंग कहा गया था ।

दरअसल आवाज़ का एक पेट्रनहोता है जिसकी शिनाख्त के लिए रुदन की फ्री -क्वेंसीज़ का सांखिकीय विश्लेषण किया जाता है .यानी रुदन का अंदाज़ जुदा होता है .रुदन बच्चे के मनोभावों एवं संवेगों का विशिष्ठ आइना है ,हस्ताक्षर है उसके भाव जगत का .ऑडियो स्पेक्ट्रम (आवृत्ति गत श्रव्य फ्रीक्वेंसीज़ का विभाजन और पहचान ) के अनुरूप एक पावर फंक्शन होता है .यही रुदन के वर्गीकरण का आधार तैयार करता है .(साउंड पेट्रन रिकग्नीशन अप्रोच युसिज़ अ स्टेतिस्तिकल एनेलिसिस ऑफ़ दी फ्रीक्वेंसीज़ ऑफ़ क्राईज़ एंड दी पावर फंक्शन ऑफ़ दी ऑडियो स्पेक्ट्रम तू क्लासिफाई डिफरेंट टाइप्स ऑफ़ क्राईज़ /क्राइंग ।)
अब अलग अलग ऑडियो स्पेक्ट्रा का मिलान बच्चे के संवेगों से उनके माँ -बाप की मदद से किया जाता है .जो शिशु किसी कष्स्त साध्य जन्म जात रोग से ग्रस्त थे साइंसदानों ने उनकेरुदन की रिकोर्दिंग्स अलग से की थी ताकि एक आम और तकलीफ देह रुदन में भेद किया जा सके ।
इस प्रकार दर्द से रोते बच्चे के रुदन और आम बच्चे के रुदन में एक अंतर १०० फीसद कामयाबी के साथ किया जा सका .इस प्रकार ऑडियो स्पेक्ट्रा आधारित एक आधार बच्चे के रुदन और संवेगों का तैयार कर लिया गया है .उम्मीद की जा सकती है एक दिन यही एक इलेक्ट्रोनिक डिवाइस का आधार बनेगा .तब आप जान सकेंगें आपका लाडला आखिर क्यों रो रहा है .क्या उसे कोई तकलीफ है या फिर वह भूख से रो रहा है .?

अब अलग अलग ऑडियो स्पेक्ट्रा का मिलान शिशु संवेगों से किया गया .ज़ाहिर है इसमें माँ -बाप का सहयोग भी लिया गया ।

परीक्षणों के दौरान साइंसदानों ने उन बच्चों के रुदन की अलग से रिकोर्डिंग तैयार की जो किसी कष्ट साध्य जन्म जात रोग से ग्रस्त थे .ताकि इस विशिष्ठ रुदन तथा अन्यकिस्म की क्राइंग में साफ़ अंतर किया जा सके ।

इस प्रकार से पेनफुल और सामान्य क्राइंग में १०० फीसद कामयाबी के साथ अंतर किया जा सका ।

इस प्रकार शिशु रुदन

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