शुक्रवार, 26 मार्च 2010

गमो का दौर भी आये तो मुस्करा के जियो ....

हूज़ुमे गम मेरी फितरत बदल नहीं सकते /मैं क्या करूँ मुझे आदत है मुकराने की ।
विज्ञान भी शायर की कही से सहमत प्रतीत होता है ."ब्रोदर दी स्माइल ,लोंगर यु लिव :स्टडी ।
आपकी मुस्कान जितनी चौड़ी होगी ,जितनी ज्यादा लकीर बनेगी आपकी आँखों के गिर्द (डीपर क्रीज़िज़ अराउंड यूओर आइज़ ) उतनी ही ज्यादा लम्बी आपकी उम्र होगी ,ऐसी संभावना व्यक्त की गई एक अध्धययन के नतीजों में । अध्धय्यन के तहत अमरीकी मेजर लीग बेस बाल प्लेयर्स के २३० छाया चित्रों का अध्धययन किया गया .ये तमाम खिलाड़ी १९५० के पहले से खेल रहे थे .इनमे से कुछ के चेहरे सपाट थे ,देअद्पन
विद नो स्माइल ,बस ये केमरे की तरफ देखभर रहे थे . कुछ के चेहरे पर लेदेकर आंशिक मुस्कान थी .मुख के आस -पास की पेशियों तक ही सीमित थी यह मुस्कान जबकि कुछ के चेहरे पर बला की स्मित थी ,फुल स्माइल ,ना सिर्फ चेहरा इनकी आँखों में भी मुस्कराहट थी .कपोलों पर उभार था ,जैसे ख़ुशी से फूल कर गोल गप्पा हो रहें हों ।
यह तमाम तस्वीरें १९५२ के बेस बाल रजिस्टर से ली गईं थीं ।
जिनके चेहरे से मुस्कान गायब थी उनकी उम्र ७२.९ वर्ष ,आंशिक मुस्कान वाले ७५ साल तक ज़िंदा रहे जबकि एक भरी पूरी मुस्कान वाले ७९.९ बरसों तक जिए ।
आखिर हंसना मुस्कराना आदमी का ही विशेष गुण है .लाफ्टर ना सिर्फ एक टोनिक है ,थिरेपी भी है .इसीलिए शायर ने कहा होगा -ग़मों का दौर भी आये तो मुस्करा के जियो ,ना मुह छिपा के जियो और ना सिर झुका के जियो .

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