सोमवार, 24 मई 2010

कृत्रिम कोशिकाएं कितनी कृत्रिम ?

कितनी कृत्रिम हैं 'वेंटर की कृत्रिम कोशिकाएं '?बेशक क्रैग वेंटर संस्थान की टीम ने एक जीवाणु 'माइको -प्लाज्मा -माई -कोइड्स 'का दिमाग (जीनोम )जिसमे तमाम डी एन ए का सीक्युएंस मौजूद रहता है .,लेब में ही तैयार किया है .इसे एक अपने से अलग किस्म के जीवाणु में डाल भी दिया है ,लेकिन उस जीवाणु का जीनोम अलग कर दिया था .भले ही इस अलग किस्म के जीवाणु ने ना सिर्फ काम करना शुरू कर दिया है .माइको -प्लाज्मा -माई -कोइड्स 'का जीनोम भी इसकी संततियों में पनपने लगा है .लेकिन जिस जीवाणु की कोशिका का शेल यानी खोल लिया गया ,क्या वह खोल मात्र है .क्या वास्तव में कहा जा सकता है विंटर ने एक कृत्रिम कोशिका बना डाली है ?

या फिर यह मात्र 'री -प्रोग्रेमिंग 'है ?पूरी कोशिका कहाँ गढ़ी है लेब में .भाई साहिब कोशिका का कृत्रिम खोल (रसोई घर) भी तो बनाओ .सिर्फ मसाला बदल देने से क्या होगा रसोई का ?बेशक अब वह जीनोम प्राप्त करता जीवाणु लेब में तैयार जीनोम से ही संचालित हो रहा है ।

किसी कोशा को लेब निर्मित तब ही कहा जा सकता है जब उसका हर घटक पूरा ढांचा लेब निर्मित हो .थियेरी में यह भले ही संभव हो उपलब्ध टेक्नालोजी से परे है .सिर्फ जीनोम बदलने से कुछ नहीं होता ।

सन्दर्भ सामिग्री :-डिडवेंटर क्रियेट लाइफ ?नोट रियेली ,से एक्सपर्ट्स (दीज़ सेल्स आर नोट सिंथेटिक )-दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मे२४ ,२०१० )

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