मंगलवार, 15 जून 2010

बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जायेगी ...

करे कोई भरे कोई ,करे मुल्ला ,पिटे जुम्मा -वाली युक्ति चरितार्थ होती है गर्भावस्था के दौरान जंक फ़ूड के सेवन से .लेकिन क्या ऐसा सीधे -सीधे जंक फ़ूड के खाने से, खाते रहने से ही होता है ?
नहीं सीधे सीधे ऐसा कुछ भी नहीं है ।
बेशक जंक फ़ूड को खुराख बना लेने का मतलब यह नहीं है .,भले चिकनाई सना ऐसा बासा भोजन एक स्त्री -हारमोन 'ईस्त्स्रोजन "का स्तर बढाने में विधाई भूमिका निभाता हो ,और यह हारमोन 'ब्रेस्ट -कैंसर "के मामलों के लिए कसूरवार पाया गया हो ,लेकिन इसकी व्याख्या के लिए ,इसे समझने ,बूझने के लिए हमें 'एपी जेनेटिक्स 'को समझना होगा जो असली मुजरिम है ।
दर -असल एपिजेनेतिक्स के तहत आने वाली प्रक्रियाएं (प्रोसेसिज़ )जींस (हमारी जीवन इकाइयों )के काम करने के ढंग में ही तब्दीली ला देतीं हैं ।
इन्हें म्युतेसंस के तहत नहीं रखा जा सकेगा .लेकिन ये परिवर्तन जो कुछ भी हों ,माँ से बेटी को और बाप से बेटे को ट्रांसफर (अंतरित )हों जातें हैं .और ऐसा एक नहीं बार -बार (बारहा )होता है ।
ये सूक्ष्म परिवर्तन कैंसर की भूमि तैयार कर सकतें हैं .(दी टाइनी चेंज़िज़ में इनक्रीज दी नंबर ऑफ़ पोतेंशियाली कैन -सरस 'बड्स ' इन दी ब्रेस्ट .बस यही आधार है ब्रेस्ट कैंसर और जंक फ़ूड का .

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