शनिवार, 19 जून 2010

वेस्ट लाइन कम हो सकती है ,ज़रूरी नहीं है वजन भी हो .क्यों ?

यु केन लूज़ इन्चिज़ विदाउट वेएंग लेस ।
केलिफोर्निया विश्विविद्यालय (बर्कली केम्पस )में ५० -५५ साला महिलाओं को एक वजन को मैन्तेंद रखने वाली खुराख के साथ साथ १२ सप्ताह तक एक ही साइकिलिंग रूटीन दिया गया .एक ५६ साला महिला की वेस्ट लाइन दो इंच तथा चर्बी सात फीसद कम हो गई लेकिन वजन जस का तस रहा .वास्तव में उसकी १.८ किलोग्रेम चर्बी पेशियों(मसल मॉस )में तब्दील हो गई .किलोग्रेम तू किलोग्रेम दोनों का अनुपात यकसां रहा ।
आप जानतें हैं "मसल इज फरम्र एंड देंसर ,एंड ईट टेक्स अबाउट वन थर्ड दी स्पेस ऑफ़ ऑफ़ फेट "यानी पेशिया बलिष्ट और पुख्ता होतीं हैं ,सघन होतीं हैं ,ज्यादा घनत्व लिए रहतीं हैं ,एक तिहाई कम जगह घेरतीं हैं चर्बी की तुलना में .दो महीना की वर्क ट्रेनिंग चाहिए (स्ट्रेंग्थ ट्रेनिंग )एक किलोग्रेम मसल मॉस बनाने बढाने के लिए ,इतनी ही चर्बी को पेशियों में ढालने के लिए .

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