सोमवार, 21 जून 2010

सृष्टि में व्यापक स्तर पर अन्धकार का डेरा क्यों हैं ?

जिसे हम प्रकाश (दृश्य प्रकाश )कहतें हैं वह इलेक्त्रोमेग्नेतिक एनर्जी का एक बहुत छोटा सा हिस्सा है ,जिसके दोनों और अदृश्य प्रकाश है .गामा रेज़ ,एक्स -रेज़ ,अल्ट्रा वायलेट लाईट ,विजिबिल लाईट ,इन्फ्रा रेड रेज़ ,माइक्रो -वेव्ज़,रेडियो वेव्ज़ इसी ऊर्जा का विस्तार है .ऊर्जा का विभाजन लघुतर तरंग गामा रेज़ से लेकर दीर्घतम रेडिओ वेव्स तक है ।
इसलिए प्रकाश शब्द का चलन विस्तारित इलेक्त्रोमेग्नेतिक स्पेक्तर्म के छोटे से अंश तक सीमित है ।
अब से कोई १३.६ अरब वर्ष पहले एक महा -विस्फोट से सृष्टि का जनम हुआ .तब से यह सृष्टि लगातार फ़ैल रही है .सभी सितारे ,तारा मंडल ,नीहारिकाएं (गेलेक्सीज़ ),सुपर गेलेक्सीज़ गरज यह गोचर और ज्ञात सृष्टि के सभी अंश परस्पर छिटक रहें हैं .जो पिंड जितना अधिक दूर है किसी प्रेक्षक के सापेक्ष वह उतनी ही तेज़ी से पलायन कर रहा है .दी फारदार ए गेलेक्सी दी फास्टर ईट इज रिसीडिंग .इसे ही हबिल्स ला (हबील का नियम) कहा जाता है ।
सितारों के स्पेक्ट्रम उतारने पर पता चलता है अधिकाँश सितारों के स्पेक्ट्रम की रेखाएं लाल रंग की और खिसकी हुईं हैं .इसे ही "रेड शिफ्ट "कहा जाता है ।
यदि स्पेक्ट्रम की रेखाएं नीले रंग की और खिसकाव दर्शाती हैं तब इसे ब्लू शिफ्ट कहतें हैं ।
रेड -शिफ्ट का मतलब सितारों का पलायन है दूर जाना है एक प्रेक्षक से और ब्लू-शिफ्ट का पास आना है ।
अब चूंकि सृष्टि के फेलाव विस्तार की वजह से परस्पर सभी पिंड एक दूसरे से दूर छिटक रहें हैं इसीलिए प्रकाश धीरे धीरे दृश्य से अदृशय अंश की और लघुतर दृश्य तरंग वाय्लित से इंडिगो की तरफ ,इंडिगो से ब्लू ,ब्लू से ग्रीन ,ग्रीन से ओरेंज ,तथा ओरेंज से रेड की तरफ खिसकता अदृशय अंश इन्फ्रा रेड ,फार इन्फ्रा रेड ,माइक्रो वेव्स ,रेडिओ वेव्स के अदृशय पट्टी की तरफ जा रहा है .यानी हमारी दृश्य पट्टी से बाहर हो रहा है .यदि सृष्टि का विस्तार ज़ारी रहा तो एक दिन सृष्टि अन्धकार की चादर में विलीन हो जायेगी .

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