शनिवार, 12 जून 2010

ग्लाई -समिक इंडेक्स से जुडी है खाने से तृप्ति .

आखिर फूड्स (खाद्य पदार्थों )के ग्लाई -समिक इंडेक्स के मानी क्या हैं ?क्यों इस पर तवज्जो देना लाजिमी है ?माहिरों के अनुसार खाद्य मोटे तौर पर दो वर्गों में रखे जातें हैं -
(१)लो कार्बो -हाइड्रेट्स फूड्स (२)हाई कार्बो -हाई -द्रेट्स फूड्स .आखिर आम औ ख़ास के लिए इसका मतलब है क्या है ?
हमारे शरीर को चलाये रखने ईंधन की (ऊर्जा )की कमोबेश ज़रुरत कार्बो -हाई -द्रेट्स से ही पूरी होती है जो खाद्य सामिग्री से ज़ज्बी के बाद रक्त शर्करा (ब्लड ग्लूकोज़ )में तब्दील हो जातें हैं .दिमाग और हमारे स्नायुविक तंत्र (नर्वस सिस्टम )को भीज़रूरी ऊर्जा यही शक्कर उपलब्ध करवाती है .इनका वर्गीकरण -
(१)सिम्पिल कार्बो -हाइड्रेट्सयथा फ्रक्तोज़ सिम्पिल सुगर्स (२)कोप्लेक्स कार्बोहाई -द्रेट्स (सुपाच्य -शक्कर )के अलावा खाद्य सामिग्री के (३)ग्लाई -सेमिक इंडेक्स के आधार पर भी किया जाता है ।
ग्लाई -सेमिक इंडेक्स (जी ई )किसी भी खाद्य की ब्लड ग्लूकोज़ बढाने की क्षमता का जायजा लेता है ,आकलन करता है .'लो -जी ईफूड्स "धीरे धीरे प्च्तें हैं नतीज़न ब्लड सुगर का स्तर भी धीरे धीरे यानी देर से बढ़ता है ,एक दम से शूट नहीं करता .'एब एंड ताइड्स नहीं रहते ब्लड सुगर के खून में ।
इसके विपरीत 'हाई -जी ई फूड्स 'एक दम से पहले तो सैलाब ला देतें हैं खून में घुली शक्कर का फिर टांय-टांय फिस्सयानी ब्लड सुगर एक दम से डाउन ,ए सदेंन डिप्प इन ब्लड सुगर ।
क्या आधार बनता है 'जी ई 'का ?
(१)कितना कार्बो -हाई -द्रेट्सकोई भी खाद्य लिए है .(२) कैसे और कितना संशाधित (प्रोसेस यानी परिष्कृत किया गया) है ?(३)प्रोटीन ,चिकनाई तथा खाद्य रेशे कितने समाहित किये है ?
कौन सा खाद्य वर्ग खाने के बाद कितना ब्लड ग्लूकोज़ लेविल (खून में घुलित शक्कर )बढाता है उसी आधार पर उसे -(१)गुड कार्ब्स या फिर (२ )बेड कार्ब्स का दर्जा मिलता है ।
स्लो कार्बो -हाई -द्रेट्स युक्त खाद्यों को पहचानिए :अपनी प्राकृत अवस्था (न्च्युरल स्टेट )के कितना नज़दीक है ?जो एकदम से कुदरती है रंग रोगन पालिश आदि नहीं की गई है जिस पर जैसे मोटे अनाज (ओट्स ,ब्रोकिंन व्हित ,ब्राउन राईस आदि ),लेन्तिल्स (दाल ),फलियों दार खाद्य ,बीन्स ,नट्स,सीड्स ताज़े फल औरकच्ची तरकारियाँ आदि ।इसी वर्ग में आयेंगें ।खाद्य रेशा बहुल होने के अलावा ये तमाम खाद्य ज़रूरी
पुष्टिकर तत्वों ,विटामिनों ,एंटी -ओक्सिदेंट्स भी भरपूर संजोयें हैं ।
खनिजों से भी भरपूर हैं .देर तक तृप्त रहेंगें इनके सेवन के बाद .ऊर्जा से लबालब भरे हुए स्फूर्त ,चुस्त दुरुस्त रहेंगें आप ।(ज़ारी )
यही आदर्श खाद्य हैं आपके लिएँ .दूसरी तरफ 'फास्ट 'कार्बो -हाई -द्रेट्स हैं जो हाई -ग्लाई -समिक इंडेक्स लिए हैं .इनमे तमाम सफ़ेद चीज़ें सफ़ेद चीनी ,मैदा ,परिष्कृत -वाईट ब्रेड ,पोलिश वाला वाईट राईस ,भारतीय फास्ट फूड्स टिक्की -समोसा ,चाट पापड़ी ,केक्स, कूकीज ,बर्जर्स ,पीजाज़ ,संशाधित फ्रूट ज्युसिज़ ,कोला पेय आदि ,आइस क्रीम .तुरत फुरत हजम और ब्लड सुगर्स में पहले उछाल फिर ढलान ।
मधु -मह के मरीजों में पहले हाई -पर -ग्लाई -सिमिया फिर रिएक्टिव हाई -पो -ग्लाई -सिमिया की वजह यही खाद्य हैं .नजर रखिये इन पर .वाच आउट लिस्ट में रखिये इन्हें .ये क्या इधर खाया उधर हजम .खाने के थोड़ी देर बाद ही फिर तलब ।
पहले इंसुलिन रेजिस्टेंस फिर मोटापे की वजह भी यही फास्ट कार्ब्स /बेड कार्ब्स बन रहें हैं ।
सेकेंडरी दाया -बितीज़ (जीवन शैली रोग )की यही वजह बन रहें हैं ।
जबकि रोगों के फैलाव और उन्हें रोकने की विद्या (महा मारी के कारणों की पड़ताल करने वाले )एपी -देमियो -लोजिकल अध्धय्यन बतलातें हैं,'लो -जी ई फूड्स 'इसके खतरे के वजन को कम करतें हैं ,मधु -मह ग्रस्त रोगी की ब्लड सुगर का बेहतर प्रबंधन ,विनियमन ,नियंत्रण करतें हैं .कोलन कैंसर ,इतर कैंसरों ,हृद रोगों के प्रबंधन में कामयाब हैं ।
लो -फेट लो -केलोरी खुराख के पूरे फायदे उठाने के लिए भी वजन कम रखने की कोशिश में जी ई का एहम रोल है .हाई ग्लाई -समिक इंडेक्स फूड्स से परहेज़ रखिये ,कमसे कम रखिये इनका सेवन ।

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