सोमवार, 28 जून 2010

अति एच डी एल की भी भली नहीं ...

कहा गया है "अति सर्वत्र वर्ज्यते "अति हर चीज़ की बुरी .अब तक यही समझा जाता है ,हाई -डेंसिटी-लिपो -प्रोटीन (खून में घुली एक प्रकार की चर्बी ,चिकनाई )दिल के लिए अच्छी तथा एक और किस्म "लो -डेंसिटी -लिपो -प्रोटीन्स 'बुरी रहती है .पहले प्रकार की चिकनाई हृद रोगों से अपेक्षाकृत बचाए रहती है और दूसरे किस्म की उन्हें न्योता देती है ।लेकिन यह बात अमूमन उन पर ही लागू होती है जो दायाबेतिक नहीं है ।

लेकिन यही बात "प्राइमरी दाय्बेतिक्स "पर लागू नहीं होती है .खासकर दाय्बेतिक वोमेन के लिए जबकि वह जन्मना इसकी गिरिफ्त में रही आई हो यानी प्राइमरी दायाबितीज़ से ग्रस्त हो ।
पित्त्स्बुर्घ (पिट्सबर्ग )के रिसर्चरों ने अपने एक अध्धय्यन में बतलाया है ,प्राइमरी डायबिटीज़ से ग्रस्त उन महिलाओं के लिए जिनमे एच डी इल का स्तर खून में बढा रहता है हृद रोगों के खतरे का वजन बढ़ जाता है ।
सन्दर्भ -सामिग्री :-"तू मच गुड कोलेस्ट्रोल इज बेड "(टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,टाइम्स ट्रेंड्स ,जून २८ ,केपिटल एडिसन ,पृष्ठ १५ .)

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