शनिवार, 26 जून 2010

हार्ड पर बैठने का मतलब अच्छा मोल -भाव करता ...

साइंसदानों ने पता लगाया है जो लोग बैठने के लिए आराम कुर्सीकीजगह (सोफ्ट सीट )का स्तेमाल करतें हैं वह चीज़ों की खरीद -फरोख्त करते वक्त अच्छे मोल -चोल करके वाजिब दामों पर सौदा पटाने वाले सिद्ध होतें हैं ।
साइंसदानों ने एक प्रयोग में इसकी आज़माइश की है .इसके तहत ८६ स्वयंसेवियों को प्रयोगशाला (आज़माइश -खाना ,लैब ) में बुलाकर या तो हार्ड या फिर सोफ्ट सीट पर बैठाया गया ।
उन्हें कहा गया वह कल्पना करें वह एक अच्छी कार की खरीद फरोख्त के लियें किसी डीलर की दूकान पर बैठें हैं .अब उन्हें कार की स्टीकर -प्राईस दिखला कर इसकी फस्ट और सेकिंड प्राईस लिखने के लिए कहा गया ।
पता चला हार्ड सीट पर बैठने वाले फस्ट प्राईस पर ही दृढ रहे ,टस से मस नहीं हुए .जबकि सोफ्ट सीट ग्रुप लचीला साबित हुआ .पहला ग्रुप हार्ड और सफल बार -गेनर ,एक चतुर मोल -भाव करके सौदा पटाने वाला सिद्ध हुआ ।
हारवर्ड और येल यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने इस स्टडी को संपन्न कर बतलाया है कुर्सी की सीट की हार्ड -नेस (सख्ती ,कठोरता )आप दूसरे व्यक्ति के बारे में क्या सोचतें हैं इसको असर ग्रस्त करती है ।
वस्तु और चीज़ों के प्रति लोगों के प्रति हमारे रूख का निर्धारण करती है .हम अपने फैसले पर कितना कायम रहतें हैं ,यह भी ।
सन्दर्भ -सामिग्री :-'सिट ओंन ए हार्ड चेयर तू ड्राईव ए हार्ड -बार-गैन(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,जून २६ ,२०१० ,केपिटल एडिसन ,पृष्ठ ,२१ .)

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