सोमवार, 28 जून 2010

बॉडी फेट और मसल सेल्स से फिर उगाई गईं अस्थियाँ (बोन्स).

इन ए ब्रेक थ्रू ,बोन ऋ -ग्रोन फ्रॉम फैट ,मसल सेल्स (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,जून २८ ,२०१० ,केपिटल एडिसन ,पृष्ठ १५ )।
पेशीय ऊतकों एवं वसीय कोशिकाओं(फैट सेल्स ) से साइंसदानों ने एक बार फिर से क्षति ग्रस्त अस्थि (बोन )एवं उपास्थि (कार्तिलिज )बढ़ाकर दिखलाई है .यह कोशिकाएं मरीज़ से ही ली गईं तथा इन्हें क्षति ग्रस्त हिस्से पर रोप दिया गया।
यह करिश्मा हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के साइंसदानों के नेत्रित्व में माहिरों की एक अंतर -राष्ट्रीय टीम ने कर दिखाया है muscle और फैट सेल्स को कामयाबी के साथ पहले कार्तिलेज़ और फिर बोन में तब्दील किया गया .इसके लिए एक ख़ास किस्म की जींस थिरेपी आजमाई गई ।
रोदेंट्स (चूहे ,कुतर कर खाने वाले अन्य कृन्तक )पर किये गए परीक्षणों से पता चला ,प्रत्यारोपित (इम्प्लान्तिद )पेशी और फैट जल्दी ही भंग अस्थियों के बीच एक पुल (एक ब्रिज )बना लेतें हैं ।
चोट ग्रस्त होने के ८ सप्ताह के बाद अस्थियों की पूरी ताकत (इलास्टिक स्ट्रेंग्थ ,रेजिलिएंस )लौट आती है .हम मनुष्यों में एक बार हड्डी टूट जाए ,उसे जुड़ने सुधरने में ,क्षति पूर्ती करने में महीनो लग जातें हैं .संदर्भित आनुवंशिक प्रोद्योगिकी ,अभिनव आनुवंशिक चिकित्सा नी -इन्जरीज़ की ऋ -कवरी को पंख लगा सकती है .अस्थि और उपास्थि की चोट को शीघ्र और दक्षता के साथ ठीक कर सकती है .यह काम अपेक्षाकृत कम कीमत पर हो सकता है ,सस्तें में .अध्धययन के अगुवा रहेक्रिस एवंस का यही कहना समझना है ।
जिन्हें जीन एक्तिवेतिद मसल त्रास्प्लांत किया गया (प्रत्यारोप लगाया जीन -एक्तिवेतिद पेशी का )उनमे १० दिनों के अन्दर क्षतिग्रस्त अंग के गिर्द ब्रिज बनने से जल्दी ही लाभस्वास्थ्य मिला.८ हफ़्तों में असर ग्रस्त अंग पूरी क्षमता के साथ काम करने लगा ।
एक बहुत ही बिरला रोग होता है जिसमे मरीज़ की पेशियों में अस्थियाँ बनने लगतीं हैं .दीज़ पेशेंस केरी ए वेरिएसन ऑफ़ ए जीन देत कोड्स फॉर ए मोलिक्युल काल्ड 'बोन -मोर्फो -जेनेटिक प्रोटीन '.इस रोग का नाम है -फाइबरो -डिस्प्लेजिया -ओसिफिकेंस प्रोग्रेसिवा 'इसी विकार का फायदा उठाया है संदर्भित जीन थिरेपी ने .


कोई टिप्पणी नहीं: