शनिवार, 24 जुलाई 2010

सेलाइवा बेस्ड टेस्ट्स किट्स कितनी भरोसे मंद ?

सेलाइवा -बेस्ड जीन टेस्ट्स किट्स गिव बोगस रिज़ल्ट्स :प्रोब (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,जुलाई २४ ,२०१० ,पृष्ठ १९ )।
जेनेटिक टेस्टिंग यू एस कम्पनीज लार की जांच करके प्रोस्टेट कैंसर या डायबिटीज़ के जोखिम का वजन बताने का दावा तो करतीं हैं लेकिन ये दावे सिर्फ दावे ही सिद्ध हो रहें हैं .इन पर भरोसा नहीं किया जा सकता .आलम यह है जितनी जेनेटिक टेस्टिंग कम्पनीज उतने ही अलग नतीजे ,रोग एक निदान अनेक ।सुनिश्चित कुछ भी नहीं ।सब गोल गपाड़ा .
यह शिकायत किसी आम आदमी ने नहीं स्वयं अमरीकन गमेंट्स इन्वेस्तिगेतर्स ने "ला" मेकर्स से की है .
इन जांच कर्ताओं ने जब चोरी छिपे ,गुप्त रूप से ऐसी चार कम्पनियों की जांच की जिन्हें पांच लोगों ने अपनी लार के नमूने(डी एन ए ) जांच के लिए भेजे थे ,नतीजों में परस्पर कोई ताल मेल नहीं था .जब की बीमारी एक ही थी जिसका रोग निदान ६८ फीसद गलत तय किया गया था .असंगत था ६८ फीसद मामलों में ।
पांच में से चार डोनर्स के टेस्ट्स नतीजे ना तो उनकी मेडिकल कंडीशन के अनुरूप थे और ना ही उनकी पारिवारिक पृष्ठ -भूमि (फेमिली हिस्ट्री) सेही मेल खाते थे .
गोमेंट एकाउन्तेबिलिति ऑफिस ने जिन परीक्षणों की अध्धय्यन -जांच की उनमे से हरेक पर खर्च आया था ३००-१००० डॉलर्स .इन परीक्षणों को भरोसे मंद मानते हुए उम्मीद की गई थी एक सरीखे डी एन ए के नतीजे भी यकसां ही आयेंगें .लेकिन हुआ ठीक इसके उलट .डी एन ए एक जैसे नतीजे विषम ।
ज़ाहिर है टेस्ट्स कम्पनीज धोखाधड़ी का धंधा कर रहीं हैं .बाज़ार के कायदे कानूनों को ठेंगा दिखाना है .यह कैसी मार्किटिंग प्रेक्तिसिज़ हैं .उपभोक्ता को छल रहीं हैं ये कम्पनियां .बेकार है इनका होना हवाना उपभोक्ता के लिए ।
ये कम्पनियां (जेनोमिक टेस्टिंग कम्पनीज )बाज़ार में इस मंशा से उतारी गईं थीं यह सही प्रागुक्ति करेंगी खानदानी रोगों की ,इन्हेरितेबिल दिजीज़िज़ की ।
धड़ल्ले से बिकतें रहें हैं यह टेस्ट्स किट्स ओंन लाइन बरसों से .भला हो पाथवे जेनोमिक्स का जिसने अपने उत्पाद फुटकर बेचने की घोषणा की .वरना इनका सूक्ष्म परीक्षण कहाँ ,कब होना था .किसे करना था ?

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