मंगलवार, 20 जुलाई 2010

स्तन पान का विकल्प :पार -आनुवंशिक बकरियां

गोट्स बायो -इन्जीनीयर्ड तू प्रोव्हाइड ह्यूमेन मिल्क (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,जुलाई ०५ ,२०१० ,केपिटल एडिशन ,न्यू -देहली )।
रूस ने ऐसी पारजातिय नस्ल की बकरियां तैयार कर लीं हैं जो स्तन पान का विकल्प प्रस्तुत कर सकतीं हैं क्योंकि इनके दूध में है एक ऐसा प्रोटीन "लेक्तोफेरिन "जो सिर्फ नवजातों को स्तनपान से मयस्सर होता है .डेयरी एनिमल्स में इसकी उपस्थिति दर्ज़ नहीं हुई है ।
यही जादुई प्रोटीन नवजातों को रोगकारक विषाणुओं (वाय-रसिस) और बेक्टीरिया(जीवाणुओं )से तब तक बचाए रहती है जब तक उनका अपना रोग -प्रति -रोधी तंत्र पैथोजंस का मुकाबला करने लायक नहीं हो जाता है ।
पहले दोऐसे बच्चेपारजातिय नस्ल की बकरी के जिनके डी एन ए में ह्यूमेन जीनोम मौजूद था गोल्त्सोवो गाँव में पाल पोसकर बड़े किये गये २००७ में ,मास्को की सीमा के बाहर था यह गाँव .इन्हें "लेक -१ "और "लेक -२ "कहा गया .ज़ाहिर है यह नामकरण लेक्तोफेरिन आधारित था ।
इनकी ही संतानें आगे चलकर सांझा रशियन-बेलारूस "बेल्रोस्त्रन्स्जेंन रिसर्च प्रोजेक्ट "बेल्रोस -ट्रांस -जेन रिसर्च -प्रोजेक्ट "के रूप मेविख्यात हुईं जिसके तहत लेक्तोफेरिन प्रोटीन युक्त बकरी के दूध के गुणों का अध्धय्यन विश्लेसन किया गया ।
गत पांच बरसों में बेलारूस और रशिया में लेक्तोफेरिन युक्त गोट मिल्क पर आजमाइशें चल रहीं हैं ।
इसे ह्यूमेन मिल्क प्रोटीन आपूर्ति का एक सुरक्षित स्रोत बतलाया जा रहा है .बकरी पालन आसान भी है निरापद भी .बकरी एक साफ़ सुथरा ,जीवाणु संक्रमण से अपेक्षाकृत बचे रहने वाला स्तनपाई है ।
क्या इसीलिए महात्मा गांधी बकरी का दूध ही स्तेमाल करते थे ?

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