सोमवार, 16 अगस्त 2010

वाजिब वजह है तो हिसाब किताब बराबर कीजिये

आर्ग्युइन्ग फॉर राईट रीजंस गुड फॉर हेल्थ :स्टडी (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई अगस्त १६ ,२०१० ,पृष्ठ १३ )।
रोज़- मर्रा की जिंदगी में हम घर -बाहर चुभने वाले तनाव कारी व्यवहार को लोगों के नजर अंदाज़ कर आगे बढ़ जातें हैं .सही बात पर भी हिसाब किताब बराबर नहीं करते .आखिर लोगों के इस तरह के व्यवहार को हम यूं बरतरफ़ नहीं कर सकते .हमारी अपनी सेहत के लिए ठीक नहीं है यह .दूसरे दिन हमारे खुद के लिए भौतिक समस्याओं के लक्षण पैदा हो जातें हैं .इसलिए सही बात पर तर्क करने में कोई हर्ज़ नहीं है ,फायदा ही है .अलबत्ता कुतर्क से बचिए ।
फिर चाहें सामने वाला व्यक्ति कोई भी हो ,बोस ,आपकी संतान ,पति -परमेश्वर ,दोस्त कोई भी ,किसी का भी ऐसा व्यवहार ,बोल जो आपके लिए तनाव का वायस बने क्यों सहियेगा? स्विंग इफेक्ट आपको ही परेशान करेगा भौतिक आपदा बनकर .मिशिगन विश्वविद्यालय के सामाजिक शोध संस्थान के रिसर्चरों ने समाज शास्त्री किरा बिर्दित्त के नेत्रित्व में ऐसे ही निष्कर्ष निकालें हैं ।
तर्क सही बात पर किया जाए सही दृष्टि कोण के साथ ,तनाव बराबर हो जाएगा द्विगुणित नहीं होगा ।
व्यर्थ की कलह बेकार की बात मानकर बिक्रिंग को बाई -पास करना दिन भर आपको अन्दर अन्दर खदबदाता (कचोटता )रहेगा नाहक .जानतें हैं क्यों ?स्ट्रेस हारमोन का स्तर बेहिसाब उछल और गिर रहा है चांदी के भाव सा ,शेयर के चढ़ाव और उतार सा .तो ज़नाब उधार क्यों रखियेगा .तुरत दान महा कल्याण -हिसाब किताब तभी बर्बर कर लो .

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