शनिवार, 21 अगस्त 2010

चाँद सिकुड़ रहा है लेकिन सृष्टि का फैलना यूं ही ज़ारी रहेगा ...

दी मून मे बी श्रीन्किंग ,न्यू इमेज़िज़ इंडिकेट (डेली न्यूज़ एंड एनेलेसिस ,डी एन ए ,मुंबई ,अगस्त २१ ,२०१० ,पृष्ठ १८ )।
ग्रहविज्ञानियों के मुताबिक़ चाँद का व्यास कम हो रहा है लेकिन सृष्टि यूं ही फैलती रहेगी .दरअसल चाँद का गर्भ प्रदेश (कोर )धीरे धीरे ठंडी पड़ रहा है नतीज़तन व्यास कम हो रहा है . क्रस्ट को इसे समायोजित करने के लिए, नए आकार को आत्मसात करने के लिए, सिकुड़ना पड़ रहा है .यहसिकुडन एक गुब्बारे के सिकुड़ ने जैसी ही है ।
इस सिकुडन का पता तब चला जब एक अन्तरिक्ष अन्वेषी ने चाँद की सतह पर "लोबेट स्क्रेप्स "चाँद के लूनर हाई -लैंड्स में इमेज़िज़ के रूप में दर्ज़ किये .एक दम से असामान्य फाल्ट लाइंस की मानिंद है यह चाँद की दरारें ।
१९७० के चरण में ऐसी ही दरारें अपोलो -मिशन के तहत भी दर्ज़ की गईं थीं .अब १४ नए लोबेट स्क्रेप्स काऔर पता चला है .यह भी लूनर हाई -लैंड्स में ही दर्ज़ हुईं हैं ।(लूनर का मतलब चाँद से सम्बंधित होता है .)
लोबेट स्क्रेप्स क्या हैं ?
स्क्रेप्स हेविंग ऑर रिज़ेम्ब -लिंग ए लोब ऑर लोब्स इज काल्ड लोबेट स्क्रेप्स .लोब आप जानतें हैं पिंडक या पिण्डिका को कहा जाता है जैसे कान के नीचे का भाग ईयर लोब .आल्सो ए ब्रोड राउंन -डिड सेग्मेंटल डिविज़न ,फ्लेट पार्ट ऑफ़ एन ओरगेनस्पेशियली दी लंग्स एंड दी ब्रेन इस काल्ड ए लोब ।
लूनर ऋ- खोनिसन्सऑर्बिटर स्पेस क्राफ्ट ने चाँद की सतह का अन्वेषण किया है .पता चला है यह फाल्ट लाइंस चाँद की सतह पर यत्र तत्र सर्वत्र मौजूद हैं .दरअसल सिकुड़ने किप्रक्रिया मेंपहले से हीचाँद की भंगुर पर्पटी (क्रस्ट) में तो दरारें आनी हीं थीं .
डॉ वात्तेर्स के मुताबिक़ भूगर्भीय दृष्टि से ये दरारें ताज़ा ताज़ा ही हैं .लगता है सिकुड़ना चाँद का एक भूगर्भीय टाइम स्केल मेंएक हालिया घटनाही है .
वजह चाँद के अंतर- प्रदेश का सिकुड़ना ही हो सकता है .
हालाकि चाँद का यह सिकुड़ना (जिसका व्यास पृथ्वी के व्यास का एक चौथाई ही है )पृथ्वी वासियों के लिए कोई खतरे का संकेत नहीं है ,चाँद भी बरकरार रहेगा .लेदेकर आदिनांक इसका व्यास १०० मीटर ही कम हुआ है .विज्ञान पत्रिका "साइंस "में यह अध्ययन प्रकाशित हुआ है ।
इस दरमियान एक भारतीय मूल के सृष्टि विज्ञानी जो याले विश्व -विद्यालय से सम्बद्ध हैं ने पता लगाया है -सृष्टि का वर्तमान फैलाव -विस्तार आइन्दा भी ज़ारी रहेगा .आप हैं प्रियंवदा नट -राजन .आपने एक भारी भरकम नीहारिका समूह (मेसिव गेलेक्टिक क्लस्टर ) का स्तेमाल एक कोस्मिक मेग्निफ़ाइन्ग लेंस (एक ब्रह्मांडीय आवर्धक लेंस ) के रूप में डार्क एनर्जी की प्रकृति को बूझने के लिए किया हैं ।
सृष्टि की ज्यामिति की पड़ताल के लिए खगोल विद बहु- विध तरीके अपनातें हैं .मकसद होता है डार्क एनर्जी की तह तक जाना ,बूझना इस रहस्य -मय बल को जिसके बारे में १९९८ में पता चला था .समझा जाता है यही अंध- ऊर्जा सृष्टि के विस्तार की रफ्तार को पंख लगा रही है ।
खगोलज्ञों की टीम ने ३४ ऐसी निहारिकाओं की इमेज़िज़ को खंगाला है जो हमसे धुर ,एक्सट्रीम डिस्टेंस , दूरी बनाए हुएँ हैं और अब ये दूरियां सुदूरतम हो रहीं हैं .लेकिन इसकी अपनी प्रकृति के बारे में विशेष कुछ तारा -माहिरों के हाथ नहीं लगा है ।
आबेल (अबल )१६८९ नीहारिका भारी भरकम ज्ञात निहारिकाओं में से एक है .इससे भी परे की निहारिकाओं को खंगाला गया है .फलस्वरूप फेंट और सूदूर निहारिकाओं का पता चला .साथ ही यह भी पता चला इनके प्रकाश को विचलित कर रहा है एक मेसिव गेलेक्टिक क्लस्टर का गुरुत्व बल .ठीक वैसे ही जैसे एक लेंस (आवर्धक में प्रयुक्त ) आपतित प्रकाश का मार्ग बदल देता है ,बेंड कर देता है प्रकाश को .यहाँ नीहारिका का गुरुत्व एक लेंस की तरह काम करने लगता है .
खगोल विज्ञान के माहिरों के शब्दों में :"दी कंटेंट ,ज्योमेट्री एंड फेट ऑफ़ दी यूनिवर्स आर लिंक्ड ,सो इफ यु कैन कोंस्ट्रेंन टू ऑफ़ डोज़ थिंग्स ,यु लर्न समथिंग अबाउट दी थर्ड .

1 टिप्पणी:

समयचक्र ने कहा…

आज ही मैंने एक समाचार पत्र में पढ़ा है की चंदा मामा सिकुड़ रहे हैं .. शायद चंदा मामा बूढ़े हो गए हैं इसीलिए सिकुड़ रहे हैं हा हा हा