शनिवार, 28 अगस्त 2010

माँ ही बन गई जीवन रक्षक कवच .

मोम्स कडल ब्रिंग्स न्यू बोर्न बेक टू लाइफ (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,अगस्त २८ ,२०१० ,पृष्ठ २१ ).
माँ का वह स्नेहिल स्पर्श ,वह आलिंगन ही उस समय पूर्व जन्मे बच्चे के लिए जीवन रक्षक कवच ,एक इन -क्युबेटर(ऊष्मा -यित्र) साबित हुआ .सिडनी के एक अस्पताल में कटे ओग्ग ने जुड़वाओं को जन्म दिया था .एक था लडका एक थी लडकी .पेट- अर्नल ट्वीन्स थे ये प्रीमीज़ जो गर्भावाश्था की पूर्ण अवधि से १३ सप्ताह पहले ही पैदा हो गये थे .लडके को मृत घोषित कर दिया गया था .माँ ने उसे अपने निरावृत्त वक्ष का स्पर्श दिया .स्नेह की आंच दी .बुने हुए स्वप्नों की कहानी सुनाई उस नन्नी जान को .सपने जो उसी से ताल्लुक रखते थे जिसका जन्म पूर्व एक नाम भी रख दिया गया था ."जिमी "।
कुछ पल बीते इस कथा वाचन में .कुछ और पल भी बीते और फिर यकायक जिमी ने जैसे सांस के लिए संघर्ष किया हो .डॉक्टर्स ने कहा-रिफ्लेक्स एक्शन है .कुछ और वक्फा भावजगत में डूबती उतराती माँ का जिमी के संग बीता .यह क्या जिमी में जुम्बिश हुई .सांस की धौकनी तेज़ तेज़ चलने से पहले जिमी चौंका .माँ को यकीं ना हुआ ,जिमी ने उसकी ऊंगली पकड़ ली थी .चक्षु खोल दिए थे .और फिर वह माँ के चूचकों को चूस रहा था .माँ ने सायास स्तन पान करवाया था .जिमी जैसे आदेश मान रहा था ।
चमत्कार होतें हैं .चिकित्सा जगत में भी कभी कभार होतें हैं .लेकिन यह तो चमत्कारों के ऊपर का चमत्कार था ।
माँ का जिस्म ,स्पर्श की आंच ,चार्मिक आलिंगन ,जीवन के लिए ज़रूरी स्पर्श की आंच एक जीवन्त इन्क्युबेटर बन चुका था ."केंग्रू केयर" का यह एक और सोपान था .अप्रतिम उदाहरण था .हो सकता है स्किन -टू -स्किन चरम से चरम का स्पर्श ,स्पर्श माँ की ममता मई आंच का एक सजीव इन्क्युबेटर हो ,कृत्रिम -इन्क्युबेटर से अव्वल .आपने देखा नहीं क्या काबिले की औरतें प्रसव के फ़ौरन बाद बच्चे को केंग्रू -नुमा पाउच में बाँध कर आगे बढ़ जाती हैं ,जैसे प्रसव एक सहज सुलभ घटना हो .जीवन का दस्तूर हो .

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