गुरुवार, 19 अगस्त 2010

लडकियां जिनकी परवरिश अपने से छोटे भाइयों के साथ होतीं है

'गर्ल्स विद यंगर ब्रदर्स स्टे वर्जिन फॉर लोंगर '(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,अगस्त १९ ,२०१० ,पृष्ठ १९ )।
एक अध्ययन से पता चला है जो महिलायें अपने से छोटे भाइयों के साथ पली बढ़ी होतीं हैं वह अपेक्षा कृत देर तक अपना कौमार्य (वर्जिनिटी )बचाए रहतीं हैं .छोटे भाइयों की निगरानी का जिम्मा वह स्वेच्छा से उठा लेतीं हैं .(आखिर ममत्व के बीज तो वह बचपन से ही लेकर पैदा होतीं हैं ,छोटे भाइयों की देखभाल माँ बनने की इच्छा का पहला सौपान होता है ,प्रशिक्षण होता है .)
रिसर्चरों के मुताबिक़ घर के पहले और बड़े बच्चे के बतौर अकसर लडकियाँ घरेलू काज में जिनमे छोटे भाई की परवरिश भी शामिल होती है हाथ बटा -तीं हैं .और इसी के साथ उनके यौन सम्बन्ध बनाने की सम्भावय्ता कम होती जाती है ।
लड़कों की बनिस्पत एल्डर डौ- टार्स ही छोटे भाइयों की परवरिश में माँ -बाप का ज्यादा से ज्यादा हाथ बटा -तीं हैं .वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया के माहिरों ने फ्रिथा मिलने तथा देबरा जज के नेत्रित्व में यह अध्ययन संपन्न किया है .दी टेलीग्राफ ने इसे प्रकाशित किया है ।
माहिरों ने यह भी पता लगाया है जिन लडकियों के परिवार में सिर्फ उनसे बड़े भाई ही होतें हैं छोटें नहीं वह एक साल देरी से रजस्वला होतीं हैं .रजो -दर्शन (मिनार्के )उन्हें एक साल विलम्ब से होता है .

कोई टिप्पणी नहीं: