मंगलवार, 21 सितंबर 2010

पचास का मतलब मस्ती की उम्र

एज ऑफ़ फ़न:५० इज दी न्यू २५ (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई सितम्बर२१ ,२०१० ,पृष्ठ १९ )।
पचास के पेटे में आचुके लोग पच्चीस साला लोगों से ज्यादा मस्ती करतें हैं ,बने ठने मस्ताने रहतें हैं .खुश रहतें हैं .सप्ताह में ज्यादा बार रात घर से बाहर बितातें हैं ज्यादा लोगों से मिलतें हैं .लम्बी यात्रा पर जातें हैं घर से बहुत दूर निकलकर .एक ब्रितानी अध्ययन से यही सब पुष्ट हुआ है ।
अध्ययन के मुताबिक़ पचास साला लोग सप्ताह में कमसे कम दो बार नाईट आउट करतें हैं औसतन चार लोगों से मिलते जुलतें हैं .साल में कमसे कम तीन सप्ताह- अंत बाहर ही मौज मस्ती करतें हैं जबकि उनसे आधे से भी कम उम्र के लोग सप्ताह में लेदेकर एक ही शाम बाहर बिता पातें हैं .केवल तीन मित्रों हम उम्रों से मिल पातें हैं साल भर में दो ही ब्रेक ले पातें हैंवह भी छोटे छोटे .१८ -७५ साला ४००० लोगों पर किये गए एक पोल के यही नतीजे निकलें हैं .
पोल में शामिल उम्र दराज़ लोगों ने साफ़ कहा उनका एक ही मकसद है अधिक से अधिक मौज लेना .जबकि उम्र के तीसरे दशक में अटकेएक तिहाई लोग ही ऐसा कर कह पाए .ये लोग नौकरी से पैदा उलझनों को ही सुलझाने में तनाव जदा रहतें हैं ऐसे में जीवन के कुछ और पहलू सहज ही नज़रंदाज़ हो जातें हैं .बेन्दें हेल्थ केयर की यही फ़ाइन्दिन्ग्स सामने आईं हैं .पोल आपने ही प्रायोजित किया था .बींग फिफ्टी इज दी न्यू २५ .निफ्टी फिफ्टी इस मोर सोशियेबिल

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