शनिवार, 25 सितंबर 2010

ग्रेविटेशनल "टाइम दायलेशन" और आइन्स्टाइन ?

आइन्स्टाइन महोदय ने एक मर्तबा कहा था -भविष्य में यदि कोई अन्तरिक्ष यात्री किसी ब्लेक होल (अन्तरिक्ष की काल कोठरी )या फिर न्युत्रोंन स्टार के नज़दीक पहुंचेगा ,उसकी घडी की सुइयां थम जाएँगी ,काल का प्रवाह रुक जाएगा ।
आइन्स्टाइन के गुरुत्व सम्बन्धी सापेक्षवाद की एक और धारणा थी :महाकाय अन्तरिक्षीय पिंड (महाकाय ग्रह,भीमकाय सितारे ,शक्ति शाली गुरुत्व के स्वामी इतर अन्तरिक्षीय पिंड )आकाश -काल की अन्विति कोअपने शक्ति शाली गुरुत्वीय क्षेत्र से मोड़ तोड़ देतें हैं ."बिग प्लेनेट्स ऑर स्टार्स विद लोटस ऑफ़ ग्रेविटी बेंड दी फेब्रिक ऑफ़ टाइम एंड स्पेस ,लाइक बालिंग बाल्स ऑन ए त्राम्पो -लाइन (उछाल पट ,एक धातु निर्मित ढांचा जिसमे कमानियों ,स्प्रिंग्स से जुडी मजबूत चादरों पर खिलाड़ी ऊपर नीचे उछलतें हैं .).जैसे जैसे हम इन अति गुर्तुवीय शक्ति बल केन्द्रों के नज़दीक -तर पहुंचतें हैं होते होते काल का प्रवाह थम जाता है .समय का दाय्लेसन हो जाता है .यही ग्रेवितेसनल टाइम डाय्लेसन है .बेशक हमारे जीवन सोपान पर इसका प्रभाव ना -काबिले गौर है लेकिन भू -भौतिकी एवं अन्य क्षेत्रों में इसका अपना महत्व है .आइये आम भाषा में जाने है क्याहै "गुरुत्वीय समय विस्तार "ग्रे -विटेश -नल टाइम दाय -लेसन ?
यदि आप एक गगन चुम्बी इमारत के सबसे ऊपर वाले माले (टॉप फ्लोर )पर रह रहें हैं तब आप ग्राउंड फ्लोर(भवन की भू -तल स्थित मंजिल ,निचले माले ) पर रहने वालों के बरक्स जल्दी बुढा -जायेंगें ,यू में एज फास्टर .आइन्स्टाइन का सापेक्षवाद इसका हामी है .नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ स्टेन-दर्ड्स एंड टेक्नोलोजी ,कोलाराडो के रिसर्चरों ने आइन्स्टाइन के इस विचार की मानवीय स्केल पर भी पुष्टि करलेने का दावा किया है ,जैसे जैसे हम पृथ्वी के केंद्र से दूर चलते जातें हैं ,समय का प्रवाह तेजतर होता चला जाता है .टाइम पासिज़ फास्टर ,इविन ऑन ए ह्यूमेन स्केल .यानी ऊपर के माले वाले लोग जल्दी बुढा- एंगें बरक्स नीचे माले वालों के ।
आइन्स्टाइन ने कहा था भू केंद्र से दूर जाने पर घड़ियाँ तेज़ चलने लगतीं हैं .राकेटों और वायुयानों पर इसकी आज़माइश की जा सकती है .विश्व की अब तक शुद्धतम घड़ियों से मानक और प्रोद्योगिकी संस्थान ,कोलोराडो के साइंस- दानों ने गणना करके उक्त तथ्य की पुष्टि की है .यदि किसी घडी को बस एक फूट ऊपर ही ले जाया जाए तब इसकीभी रफ्तार अल्पांश में ही सही बढ़ जायेगी .७९ वर्ष की आपकी संभावित जीवन अवधि में यकीन मानिए ९० बिलियंथ ऑफ़ ए सेकिंड का अंतरआजायेगा .(यानी एक सेकिंड को अगर ९० अरब भागों में विभक्त कर दिया जाए तो उसमे एक भाग का अंतर ).१० फीट ऊपर घडी को लेजाने पर ९०० बिलियंथ ऑफ़ ए सेकिंड तथा और यदि आपको अपना सारा जीवन ही मान लीजिये १०२ मंजिला इमारत (एम्पायर स्टेट बिल्डिंग ,१२५० फीट )पार बिताना पड़े तब आप की जीवन अवधि में १०४ मिल्यंथ ऑफ़ ए सेकिंड का अंतर तो आ ही जाएगा ।
गणनाओं के लिए रिसर्चरों ने "क्वांटम लोजिक "एटोमिक क्लोक्स का स्तेमाल किया .इन घड़ियों के रख रखाव समय की शुद्धता में ३.७ अरब वर्षों में ले देकर मात्र १ सेकिंड का अंतर (अशुद्धि के रूप में )दर्ज़ होगा .बेशक व्यावहारिक धरातल पर इसका कोई विशेष मतलब नहीं है लेकिन भू -भौतिकी और इतर क्षेत्रों में इसका मतलब है .यही बस गुरुत्वीय समय विस्तार या टाइम दाय -लेषण है .

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