रविवार, 31 अक्तूबर 2010

क्या और कितनी भरोसेमंद होतीं हैं टी आर पीज़ ?

टी आर पी ,टेलिविज़न रेटिंग पॉइंट्स का संक्षिप रूप है .दी इन्डियन टेलिविज़न आडियेंस मेज़रमेंट अकेली एजेंसी हैजो इल्केत्रोनिक गेजेट्स की मदद से किसी चैनल ,उससे सम्बद्ध कार्य -क्रम की लोकप्रियता का जायजा लेती है .इस एवज कुल हजार पांच -सौ एक घरों में पीपुल्स मीटर्स कायाम कर दिए जाते है एक नियत अवधि के लिए .यह इलेक्त्रोनी गेजेट न सिर्फ टेलीविजन के आगे बैठे दर्शकों की गिनती करती रहती है लगातार नियत काल तक .अलावा इसके जो पिक्चर (कार्य -क्रम)इस अवधि में देखी जा रही है उसका भी थोड़ा सा हिस्सा पीपुल्स मीटर दर्ज़ करता चलता है अनवरत ।
अब साम्पिल होम्स से उठाए गए आंकड़ों का मिलान मुख्य आंकडा बेंक से किया जाता है .बस चैनल की रेंकिंग इसी आधार पर की जाती है .ज़ाहिर है यह एक सांखिकीय तरीका है .जिसकी विश्वसनीयता का फैसला आप खुद करें .
अलबत्ता इसमें स्तेमाल तकनीकों को 'फ्रीक्युवेंसी मानी -टरन 'एवं 'पिक्चर मेचिंग 'कहा जाता है ।
भारत में इस टी आर पी को बढाने के चक्कर में बेहद का अंध -विश्वास ,भूत -प्रेत ,अपराध के बहु -विध किस्से कई चैनल निशि -बासर परोस रहें हैं .लगता है भारत में कुछ पोजिटिव घटता ही नहीं है .

कोई टिप्पणी नहीं: