सोमवार, 15 नवंबर 2010

इरेक्टाइल -दिस -फंक्सन से बचाव के लिए खुराक और योग -अभ्यास ही काफी है बा -शर्ते ...

मेक्रो -बायो -न्यूट्री -निस्ट शोनाली सभेर्वल लिंगोथ्थान अभाव (इरेक्टाइल डिस -फंक्सन )से ग्रस्त लोगों की ज़िन्दगी में नया उत्साह भरने वाला नुस्खा लेकर हाज़िर हुईं हैं "मुंबई मिरर ,नवम्बर १५ ,२०१० ,पृष्ठ २६ के यु "स्तंभ"में . .आपने न सिर्फ इरेक्टाइल डिस -फंक्सन की वज़ुहातों(वजहों ,ईतिया -लोजी ) पर रौशनी डाली है ,परम्परा -गत ,वैकल्पिक एवं चिकित्सा -वैज्ञानिक जानकारी भी प्रस्तुत की है .प्रस्तुत हैं उसी के कुछ मुख्य अंश ।
सामाधान व्याग्रा सरीखे नुस्खे नहीं हैं ,योग -अभ्यास और दैनंदिन खुराक में छिपा है .आखिर लिंगोथ्थान अभाव होता क्यों है ?
पीनाइल आर्त्रीज़ के ज़रिये जब पूरा रक्त पीनाइल -शाफ्ट या पेनिस शाफ्ट तक पहुंचता है तब शिश्न कठोर होकर तन जाता है यही है लिंगोथ्थान .ज़ाहिर है शिश्न को रक्त ले जाने वाली आर्ट -रीज में अवरोध लिंगोथ्थान अभाव की वजह बन जाता है .शिश्न की अंदरूनी दीवार के खुरदरा पड़ने ,संकराहो जाने की अनेक वजहें हैं ।
धमनी काठिन्य(अंदरूनी दीवारों का खुरदरा होकर कठोर पड़ना )और ट्रौमा धमनियों को ही डेमेज कर सकता है ।
यह एक वैस्क्युलर डिजीज (वाहिकीय रोग )है ।
नर्व डेमेज (न्यूरो -पैथी) भी इसकी वजह बन सकती है फिर चाहे नर्व डेमेज की वजह मधु -मेह(शक्कर की बीमारी,डायबिटीज़ )बने या पौरुष -ग्रंथि की सर्जरी .या फिर रीढ़ रज्जू को किसी भी वजह से पहुंची क्षति से नर्व डेमेज हुआ हो ।
मनो -वैज्ञानिक वजहें भी हो सकतीं हैं "इरेक्टाइल डिस -फंक्सन" की :दवाब हो या अवसाद ,चिंता या तनाव ,औत्सुक्य ,अपराध -बोध कैसा भी ,सभी की दुर्भि -संधि आपके यौन जीवन को असर ग्रस्त करती है ।
भौतिक समस्याएँ (फिजिकल प्रोब्लम्स )आत्म -विश्वास की कमी (परफोर्मेंस एन्ग्जाय्ती )की वजह बनतीं हैं ।
काया और हमारा मन -मस्तिष्क (माइंड )अल्हेदा नहीं हैं ,न्यूरल पाथ-वेज़ से जुड़े हैं .तनाव के लम्हों में सिम्पे -थेतिक और पैरा -सिम -पे -थे -टिक नर्वस सिस्टम्स के बीच असंतुलन टूट जाता है .लिंग के प्रकार्य पर इसका गलत असर पड़ता है .लिंग के सुचारू और तस्सली बक्श काम करने के लिए दोनों स्नायुविक तंत्रों में संतुलन लाजिमी है ।
मेडिसन (दवा -दारु ):जीवन शैली रोग ब्लड प्रेशर ,डिप्रेसन ,हृद -रोगों तथा प्रोस्टेट -कैंसर चिकित्सा में प्रयुक्त दवाएं यौन -जीवन (यौन -कर्म )को प्रभावित करतीं हैं ।
हारमोंस :टेस्टों -स्टेरोंन ,थाइरोइड ,तथा पीयूष -हारमोन (पित्युट्री हारमोन ),प्रो -लेक -टीन सेक्स -ड्राइव (लिबिडो )को असर ग्रस्त करतें हैं ।
बीमारियाँ :न्युरोलोजिकल -डिस -ऑर्डर्स ,हाइपो -थाई -रोइदिज़्म (जिसमे टी-३ ,टी -४ ज़रुरत से कम तथा थाइरोइड -स्तिम्युलेतिंग हारमोन ज्यादा बनता है ज़रुरत से ,भूख कम लगती है ,वजन फिर भी बढ़ता जाता ),खून की कमी (जब खून ही कम है तो वह कहाँ -कहाँ पहुंचे ,एक अनार सौ बीमार वाली कहावत चरितार्थ होती है ,दिल को खून चाहिए ,यौन -उत्तेजना के क्षणों में शिश्न को भी ),अवसाद और जोड़ों का दर्द (आर्थ -राय -टिस),स्रावी -तंत्र से जुड़े विकार (इंडो -क्रा -इन डिस -ऑर्डर्स ),डायबिटीज़ और कई अन्य बीमारियाँ भी लिबिडो को असर ग्रस्त बनातीं हैं ।
इलाज़ क्या है ?
बेशक वियाग्रा के अलावा कुछ लोगों के लिए पीनाइल -इम्प्लांट का सहारा है ,लेकिन वैकल्पिक इलाज़ भी कमतर नहीं हैं ।
(१)सबसे ज्यादा ज़रूरी है नियमित व्यायाम ,वसा सने खाद्यों ,खुराकी कोलेस्ट्रोल का कमतर सेवन (एग येलो ,रेड मीट आदि )।
(२)शराब यदि पीनी ही है तो हिसाब से, मर्दों के लिए दिनभर में २-३ पैग से ज्यादा हरगिज़ नहीं ।
(३)वजन पर काबू रखिये ,मोटापे से बचिए (४ )पूरी नींद लीजिये दिन भर में ७-८ घंटा अच्छी नींद .(५ )स्ट्रेस को कम रखने ,करने के लिए सप्ताह में तीन बार (बेशक और भी ज्यादा बार )साथी के साथ प्रेम -मिलन मनाइए .तनाव से जुडी है सेक्स की नवज .(ज़ारी ....)

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