गुरुवार, 18 नवंबर 2010

कभी -कभार बीमार होना आपके लिए अच्छा है .

फ्लू को ही लीजिये .सर्दी आई नहीं ,आँख ,नाक से पानी बहना शुरू ,गले में खिच -खिच नाक से सूं-सूं .सूं -सुड़कबारहा .जुकाम -सर्दी न हो तो सर्दी बे -मजा ,न गर्म हल्दी वाला दूध न तुलसी चाय (मसाला चाय के तो कहने ही क्या दाल चीनी ,लॉन्ग ,काली मिर्च सभी एक साथ ,ऊपर से ताज़ा -ताज़ा तुलसी पत्ता ।
इधर कुछ जेहादी किस्म के लोग ना हक़ ही फ्लू के पीछे पड़े हैं .सुना है एक ही टीका बनाया जा रहा है फ्लू की सीजनल और पेंदेमिक स्ट्रेनदोनों ही किस्मों की काट के लिए .एक तरफ एक आजमाइशी (एक्सपेरिमेंटल पिल )आ रही है दूसरी तरफ सिल्वर टिप्द योघर्ट बेक्टीरिया है जो फ्लू की ऐसी तैसी कर देगा .ऐसी जैविक तरकीब भी सोची जा रहीं हैं जो रोग रोधी तंत्र को फ्लू से ताकतवर बनादे .रोग -प्रति -रोधी तंत्र के हाथ मज़बूत करके इसे बेहद खबरदार कर दे .दवा कम्पनियां भारी मुनाफ़ा कमा लेने की ताक में डॉक्टरों की चांदी करने वाली सभा गोष्ठियां आयोजित कर रहीं हैं ।
जरा सोचिये यदि बारहमासी फ्लू का नामो -निशाँ ही मिट गया तो आइन्दा आने वाली संतानों को पूरे साल स्कूल में ही खटना पड़ेगा .दादी -नानियों के सारे नुश्खे बे -कार हो जायेंगे ।नथुनों में गंध भरने वाला बेसन का हलुवा अन्य सुस्वादु जुकाम भगाऊ चीज़ें उन्हें कौन खिलाएगा .जुकाम -सर्दी ,फ्लू एक चेंज ,वेळ कम चेंज मुहैया करवातें हैं आम -ओ -ख़ास को .आ -बाल -वृद्धों को .दफ्तरी बोस की घुड़क -घू से निजात अल्पकाल के लिए ही सही बेहद ज़रूरी है .रजाई की गर्माहट और किस्म किस्म की चाय -कहवा .तन और मन को पूरा आराम .लोगों की सहानुभूति सब कुछ चुक जाएगा ।फ्लू बिना सब सून.
डॉक्टरों का क्या है ज़रा सा जुकाम हुआ नहीं ,ठण्ड लगी नहीं ,ले भैया एंटी -बाय -टिक्स ,पूछो उनसे यह तो वायरल होता है ,बेक्टीरिया से पैदा नहीं होता ,ज़वाब मिलेगा ,भाई साहिब सेकेंडरी इन्फेक्सन से बचायेगें एंटी -बाय -टिक्स .ड्रग -एडिक्ट बना रहीं हैं हमें ,दवा कम्पनी .हम ड्रग -जन्कीज़ जन्मजात पैदानहीं हुए थे .रोगों से लड़ने वाला कुदरती तंत्र हमें विकास -क्रम में मिला है .उसे हम नाकारा बनवा रहें हैं .ऐसा नहीं है आधुनिक चिकित्सा तंत्र में हमारी आस्था नहीं है .लेकिन यह क्या दवा ज्यादा खुराक कम .सर्दी -जुकाम में एंटी -बाय -टिक .कोई राष्ट्रीय एंटी -बाय -टिक पालिसी नहीं .ओवर दी काउंटरड्रग के नाम पर कुछ भी ले लो .ऊपर से विज्ञापनी नुश्खे .
मुफ्त में माहिरों सा परामर्श देने वाले देशी नुश्खे तजवीज़ करने वाले आम -ओ -ख़ास क्या करेंगे यदि फ्लू धरती से चला गया तो ?आप जानतेहैं यहाँ भारत में हर व्यक्ति डॉक्टरी के जींस लेकर पैदा होता है .उसके पास मेडिकल कोलिजों में सालों साल दिमाग खपाके कड़ी महनत करने वालों से ज्यादा जानकारी और माहिरी होती है .सर्दी - जुकाम के नुश्खे बतलाने में इनका कोई सानी नहीं . ये सारे लोग बेकार हो जायेंगे .फ्लू के संग साथ लिविंग -टुगेदर (सहजीवन ,सिम्बियो -टिक लिविंग ज़रूरी है .जेहादियों के चक्कर में आने की ज़रुरत नहीं है .

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