सोमवार, 22 नवंबर 2010

पर्यावरण -मित्र इमारतों की दरारों को भरने के लिए आनुवंशिक तौर पर संशोधित जीवाणु ....

"बसिलाफिला "नाम है उस जीवाणु का जो इमारतों में आई दरारों को देखते ही देखते भर देता है .(ग्ल्यू फ्रॉम बेक्टीरिया कैन "निट"क्रेक्स इन कोंक्रीट(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया नवम्बर २२ ,२०१० ,पृष्ठ १९ ). यह आनुवंशिक तौर पर संशोधित जीवाणु ब्रितानी साइंसदानों ने तैयार किया है यह दरार के स्थान पर तेज़ी से पहुंचकर एक गोंद जैसा पदार्थ छोड़ता है .वास्तव में यह केल्सियम कार्बोनेट और बेक्तीरियल ग्ल्यू का मिश्र है यह फिलामेंट -नुमा जीवाणु कोशिकाओं से संयुक्त होकर दराओं को पाट देता है ।
इसे न्यू -कासल विश्व -विद्यालय के रिसर्चरों ने तैयार किया है .यह जीवाणु जिसे आनुवंशिक तौर पर संशोधित कियागया है तेज़ी से तैर कर इमारत में आई दरार के स्थान पर पहुँच जाता है ।
उन इमारतों के सालों साल रख रखाव में यह विधाई भूमिका निभाएगा जिन्हें पर्यावरण सम्मत बनाने के लिए ज्यादा पैसा खर्चना पड़ता है ।
हम जानतें हैं कोंक्रीट के निर्माण की प्रक्रिया में ५%कार्बन -डाय -आक -साइड उत्सर्जित होकर हमारी हवा में शरीक हो जाती है .ऐसे में इमारतों की उम्र में इजाफा करना पर्यावरण सम्मत कदम माना जाएगा .

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