गुरुवार, 18 नवंबर 2010

खाने -पीने की खुशबू दूर से ही आ जाती है मोटे भारी -भरकम लोगों को ....

पोर्ट्स -माउथ विश्व -वद्यालय के अगुवा रिसर्च्दान लोरेंजो स्ताफ्फोर्ड ने पता लगाया है ,भारी -भरकम वजनी लोग किसी भी प्रकार की खाने पीने की चीज़ों का अरोमा और सुबन्धी गंध और स्वाद दूर से भांप लेते हैं .क्षुधा -वर्धक होता है यह रूप रस और गंध पकवानों की इनके लिए नतीज़न ,ये लोग ज़मके जीमते हैं .दबा के खाते है .इनकी घ्राण शक्ति मोटापे के साथ बढती जाती है .जो जितना हट्टा-कट्टा उसकी घ्राण -शक्ति(ओल्फेक्त्री -फेकल्टी) उतनी ही तीव्र .ज़ाहिर है इंटेंस सेन्स ऑफ़ स्मेल के पीछे घ्राण -कोशिकाओं और इनकी नासिका (नाक )का हाथ होता है .बिला शक दोनों में एक सह -सम्बन्ध है ज़रूर लेकिन ठीक -ठीक यह को -रिलेसन है क्या इसका हाल -फिलाल कोई निश्चय नहीं ।
लेकिन जिन लोगों में वजन बढ़ने (वेट गेन की)विशेष प्रवृत्त रहती है उनकी तीक्ष्ण घ्राण शक्ति ज़रुरत से ज्यादा खाने के लिए उकसाती ज़रूर है ,खाना उन्हें ज्यादा सुस्वादु लगता है .चटकारा ले ले कर खाते हैं ये लोग ।
जो लोग वजन कम करना चाहते हैं उनकी मदद के लिए रिसर्चचर देर सवेर आगे आ सकते हैं .मोटापे का इलाज़ करने वालों के लिए भी इस रिसर्च के अपने निहितार्थ हैं ।
"केमिकल सेंसिस "विज्ञान पत्रिका में प्रकाशित इस रिसर्च का मकसद अब यह पता लगाना भी है क्या भूख या भरा पेट व्यक्ति की इस घ्राण शक्ति को कम ज्यादा करता है ?गडबड कहाँ है नाक में या भूखा बने रहने में ?

कोई टिप्पणी नहीं: