बुधवार, 24 नवंबर 2010

वृक्षवासी सर्प उड़ कैसे लेतें हैं ?

दक्षिण -पूर्व और दक्षिण एशिया में परस्पर सम्बंधित सर्पों की ऐसी प्रजातियाँ पाई जातीं हैं जो वृक्षों पर रहतीं हैं .एक वृक्ष से उड़ दूसरे तक यह हवा में उड़ के पहुँच जाती हैं ।
कुछ लोग सर्पों से बेहद डरतें हैं .यदि इन्हें उडन सर्पों के बारे में बतलाया जाए जो एक पेड़ से उड़कर दूसरे तक पहुँच जातें हैं तो डर से इनका बुरा हाल हो जाए .ऐसे लोगों को "ओफीडो -फोब्स "कहा जाता है .तथा सर्प -भीती को "ओफीडो -फोबिया "।
आइये देखतें हैं कैसे कुछ वृक्षवासी सर्प उड़ने का करिश्मा कर दिखातें हैं ?
कैसे जिस शाख पर यह मौजूद होतें हैं वहां से पलक झपकते ही उछाला भरके हवा में तरंगों से तैरते ये दूसरे पेड़ की सुदूर शाख तक पहुँच जातें हैं ?
कैसे यह शरीर को फ्लेट करतें हैं ?यकीन मानिए हवा में यह ७९ फीट तक की दूरी तय कर लेतें हैं .रिसर्च्दान इनकी उड़ान की नक़ल उतार कर ऐसे मानव रहित सूक्ष्म उड़ाके (माइक्रो -एयर -व्हिकिल्स )तैयार कर सकतें हैं जो एक स्वायत्त उडन मशीन की तरह काम करेंगे ।
जैव -यांत्रिक चमत्कार हैं ये सर्प ।
विर्जिनिया टेक के जैव -विदों ने इन सर्पों की "च्र्य्सोपेलेअ परदिस स्नेक्स "प्रजाति का विस्तार से अध्ययन किया है .इनकी उड़ान को चार कैमरों में उस समय कैद किया गया जब इन्होने एक १५ मीटर टाल टावर से झटके से अपने शरीर को हवा में उछाल कर उड़ान भरी .क्या हुआ इस दरमियान ?
इनकी पूरी काया का उड़ान के दौरान त्रि -आयामीय खाका(री -क्नस्त्रक्सन ) तैयार किया गया .हर हिस्से का स्नेप शोट लिया गया ।
दी री -कन्स्त्रक्त वर कपल्ड विद एन एनेलेतिकल मॉडल ऑफ़ ग्लाइडिंग डायनेमिक्स एंड दी फोर्सिज़ एक्टिंग ऑन स्नेक्स बॉडीज .पता चला लौंच प्लेटफोर्म से २४ मीटर ग्लाइड करने के बाद भी रेप -टाइल्स 'इक्युलिब्रियम ग्लाइडिंग स्टेट में नहीं पहुंचे .तरंगों की तरह आगे बढ़ते इनकी काया पर पड़ने वाले परिणामी बल कभी भी नीचे की और पड़ने वाले इनके भार के बराबर नहीं हुए .नतीज़न ये सर्प एक समान वेग से क्षितिज के साथ एक नियत कौड़बनाते हुए उड़ते रहे .ज़मीन पर नहीं गिरे ।
कमाल ! यह ऊपर उठते रहे .दी स्नेक्स वर pushd upwards ,even though moving downwards because the upward component ऑफ़ the एरो -डायनेमिक फ़ोर्स इज ग्रेटर देन दी स्नेक्स वेट . बेशक यह प्रभाव अस्थाई था उड़ान के अंत में सर्प को ज़मीन पर गिरना ही था ।
It इज really remarkable that an animal that at first glance ,possess a बॉडी plan that seems so ill -suited to gliding can only support its बॉडी weight with एरोद्य्नामिक forces ,but actually create a surplus ऑफ़ दीज़ फोर्सेस .

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