शनिवार, 20 नवंबर 2010

प्रसव देखा हो सकता है खगोल विज्ञान के माहिरों ने एक अंध कूप का ...

एस्ट्रोनो -मर्स मे हेव विट -नेस्ड दी बर्थ ऑफ़ ए ब्ल्रेक होल (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,नवम्बर ,१८ ,२०१० ,पृष्ठ २२ )।
१९७९ में एक भारी सितारा जिसका द्रवय्मान सौर द्रव्य -मान का २० गुना रहा होगा एक भारी विस्फोट के साथ हमसे कोई ५० मिलियन प्रकाश वर्ष की दूरी पर फट गया था .गत तीस सालों से ही यह अपने आसपास छितराए गैसीय पदार्थ का भक्षण करता रहा है .हमारी पृथ्वी के द्रवय्मान के तुल्य यह आसपास का पदार्थ लील चुका है .ये सारे आसार इसका एक मेसिव स्टार होना ,आसपास से गैसीय पदार्थ हड़पना इसी बात का परिचायक हैं यह एक ब्लेक होल है .अन्तरिक्ष का एक ऐसा विकृत हिस्सा है जिसका अपार गुरुत्व आसपास का पदार्थ खींच रहा है .फिलवक्त यह ब्लेक होल हमारे सौर -द्रवय्मान से ५ गुना ज्यादाभारी है . है .कुछ सितारे (अपेक्षतया भारी सितारे अपने जीवन के अंतिम चरण में सारा ईंधन भुगताने के बाद ब्लेक होल में तब्दील हो जातें हैं .यह ब्लेक होल बन ने के लिए पूरी तरह सुपात्र प्रतीत होता है .जिस पदार्थ को यह निगल रहा है उस से एनर्जी बर्स्ट लगातार हो रहें हैं ।
यह अमरीकी धारावाहिक स्टार ट्रेक के प्लेनेट ईटर की याद ताज़ा कर रहा है .इसके अति -शक्ति -शाली गुरुत्व में दब खप कर पदार्थ अपना गुण -धर्म खो देता है .मैटर इज क्रश्ड बियोंड रिकग्नीशन .इलेक्त्रोंन ,प्रोटोन और न्युत्रोंन का दब खप कर अस्तित्व समाप्त हो जाता है .यह पहली मर्तबा है खगोल विज्ञान के माहिर एक अन्तरिक्ष की काल कोठरी (ब्लेक होल )का प्रसव देख रहें हैं एक भारी सितारे के बचे खुचे भाग से .इस प्रकार का माहौल और उसका अध्ययन और प्रेक्षण अन्तरिक्ष में ही हो सकता है .प्रयोग शाला में यह पर्यावरण नहीं गढ़ा जा सकता .हो सकता है यह एक "बाई -नरि स्टारसिस्टम " हो .आइन्दा आने वाले खगोल विद इसके अवशेषों का अधययन करेंगे .

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