बुधवार, 29 दिसंबर 2010

खर्राटे के समाधान के लिए ...

डिवाइस ज़ेप्स टंग टू ब्लोक स्नोरिंग ,स्लीप अपनेया(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,दिसंबर २९ ,२०१० ,पृष्ठ १९ )।
साइंसदान इन दिनों एक ऐसी प्राविधि की आज़माइश कर लेना चाहतें हैं जो देखने में एक पेस मेकर जैसी ही होगी लेकिन इसका काम ज़बान को स्तिम्युलस(उत्तेजन ) देना होगा एक मामूली सी करेंट देते रहकर ।
बत्लादें आपको हमारी कंठ पेशियों के साथ साथ हमारी जबान (टंग )भी नींद के दरमियान शिथिल पड़ जाती है .स्लीप एप्नी (ओब्स्त्रक्तिव स्लीप एप्नी )की एक वजह टंग और थ्रोट मसल्स का नींद के दौरान रिलेक्स होना भी बनता है ।
यदि ऐसा नींद के दौरान पांच बार से ज्यादा होता है सांस लेने में हर ३० सेकिंड के लिए रुकावट आती है तब यह स्लीप एप्नी के अंतर्गत ही आयेगा .कुछ लोगों के साथ तो यह एक घंटा में तीस बार भी हो जाता है .ऐसे में मरीज़ तो मरीज़ उसका साथी भी गहरी नींद नहीं ले पाता.खुद मरीज़ के लिए यह हार्ट अटेक की वजह भी बन सकता है ।अगले दिन कार दुर्घटना की भी .
इस प्रायोगिक इम्प्लांट का मकसद 'हाइपोग्लोसल नर्व 'को उत्तेजन प्रदान करना है ।
हाइपोग्लोसल नर्व इज दी १२ थ क्रेनियल नर्व व्हिच सप्लाईज दी मसल्स ऑफ़ दी टंग एंड इज देयर फॉर रेस्पोंसिबिल फॉर दी मूवमेंट्स ऑफ़ टाकिंग एंड स्वेलोइंग ।इसके लिए नींद के दरमियान ज़बान को हल्का करेंट लगातार दिया जाता है ताकि यह टोंड रहे फ्लोपी न हो जाए .जैसे की यह जागते वक्त रहती है दिन में सोते वक्त भी वैसी ही बनी रहे .नतीजे अभी प्रतीक्षित हैं .

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